50 दिन में जनसहयोग से 5 लाख को भोजन कराया, 75 लाख से अधिक खर्च

कोरोना महामारी के कारण बेरोजगार हुए लोगों का नगर निगम की रसोई ने अन्नपूर्णा बनकर पेट भरा। लॉकडाउन के 50 दिनों (5 अप्रैल से 24 मई तक) में अब तक भोजन के 5 लाख से ज्यादा भोजन के पैकेट जरूरतमंदों तक पहुंचा चुका है। अब तक पौन करोड़ (करीब 74 लाख) रुपए खर्च हो चुके हैं। इसमें 33 लाख का किराना और 15 लाख की सब्जी आई। छूट का दायरा बढ़ने के बाद पिछले आठ से दस दिनों में भोजन के पैकेट की मांग 16000 हजार से घटकर 5 हजार हो गई है। दो-तीन दिन में इसके और घटने की संभावना है, क्योंकि व्यापार-व्यवसाय चालू होने से लोगों को काम-धंधा मिलने लगा है। यही वजह है कि सरकारी रसोई को बंद करने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। प्रशासन इस सप्ताह फैसला कर सकता है। सहायक आयुक्त महेंद्र वशिष्ठ ने बताया रविवार को सुबह व शाम मिलाकर भोजन के 5 हजार पैकेट बांटे। अब मांग घटती जा रही है।

सरकारी रसोई में रोज 8 वाहन 8 जोन में कर रहे हैं भोजन वितरण
आंबेडकरनगर भवन और ऊंकाला रोड की रसोई से भोजन के पैकेट बनकर विकास शाखा में पहुंचते हैं। यहां से 8 वाहन 8 जोन में इनका वितरण करते हैं। 2 लोडिंग वाहन सामग्री लाने के लिए लगा रखे हैं। सिटी इंजीनियर, सहायक आयुक्त सहित 12 लोगों की टीम मॉनीटरिंग कर रही है। खर्च के लिए प्रशासन निगम को एक बार 30 लाख और दूसरी बार 20 लाख रुपए दे चुका है। करीब 22 से 24 लाख रुपए के बिल बकाया है, जिसका भुगतान जल्द कर हो जाएगा।

जिला पंचायत से मिली थी जिम्मेदारी
जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन के बाद पहले जिला पंचायत ने सरकारी रसोई शुरू की थी, लेकिन अधिकारी व कर्मचारी व्यवस्था ठीक से नहीं चला पा रहे थे। इसलिए कलेक्टर रुचिका चौहान ने 4 अप्रैल को व्यवस्था निगम को सौंप दी थी। 5 अप्रैल से उसने भोजन के पैकेट का वितरण शुरू कर दिया था।



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