महंगाई की मार

कोरोना का संकट आम आदमी की जेब पर भारी रहा। महंगाई नहीं होने के बावजूद बाजारों में महंगे दामों पर किराना खरीदना पड़ा। फल, सब्जी के मनमाने दाम चुकाने पड़े। हालांकि इस दौरान पेट्रोल-डीजल का खर्च बचा लेकिन साबुन-सोडा और सैनिटाइजर का बोझ बढ़ गया। अनलॉक-1 के बाद बाजारों में रौनक लौटी है लेकिन घर का बजट बिगड़ गया है। एक 6 सदस्यों वाले सामान्य परिवार पर महंगाई के साथ संक्रमण के बचाव के साधनों व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं के खर्च ने भी जगह बना ली है।
एक्सपर्ट्स बताते हैं मार्च के पहले छह सदस्यीय परिवार का घरेलू खर्च औसत 8469 रुपए था। अप्रैल, मई में तो ज्यादा फर्क नहीं आया लेकिन जून के खर्चे उन्हें दिखाई देने लगे हैं। उनका कहना है कि अब हर घर पर साबुन-सोडा का अतिरिक्त, सैनिटाइजर, डिस इंफेक्टेंट और दवाओं का
खर्च भी जरूरी खर्चों में शामिल हो गया है। सामान्य परिवार पर इनका औसत 1500 रुपए का नया बोझ आया है। यानी 18 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन यह राहत भी जून में है कि रसोई गैस, पेट्रोल, दूध व घी के दाम कम हो गए हैं।
जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति अब भी सुगम नहीं हो रही
निजी व सरकारी कर्मचारियों को कोई अतिरिक्त वेतन लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है। जिन घरों में स्कूली बच्चें हैं, उनकी स्कूल फीस तो बाकी है ही ऑनलाइन कक्षाएं चालू होने से इंटरनेट का खर्च भी वहन करना पड़ रहा है। अनलॉक-1 के बाद भले बाजार खुल गए हैं लेकिन अभी भी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुगम नहीं होने से खैरची बाजार में कीमतें ज्यादा ली जा रही हैं। सुपर मार्केट संचालक मो.हुसैन कहते हैं कंपनियों ने खुदरा व्यापारियों को दी जाने वाली स्कीमें बंद कर अपना घाटा बचा लिया। इससे दाम नहीं बढ़े लेकिन व्यापारियों को अपरोक्ष नुकसान हुआ।

प्रतिबंध के कारण फल-सब्जी महंगे बिके

सब्जियां 65% महंगी: एक्सपर्ट पैनल के अनुसार लॉकडाउन के चलते फल व सब्जी विक्रेताओं पर रोक लगा दी थी। चोरी-छिपे सब्जियां ला रहे लोगों ने मनमाने दाम वसूले। अनलॉक-1 के बाद भी स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं आया है।

किराना 40% तक महंगा: लॉकडाउन में किराना दुकानों पर भी रोक थी। एक्सपर्ट मानते हैं होम डिलीवरी सिस्टम फेल कर व्यापारियों ने दाल, चालव, तेल आदि के 40 फीसदी तक ज्यादा दाम वसूले। अनलॉक-1 के बाद दाल व शकर के दाम बढ़े हैं।

पेट्रोल के दाम में 8 रुपए बढ़े: मार्च तक पेट्रोल के दाम 78 तक पहुंच गए थे। यह स्थिति मई तक रही। इस दौरान वाहनों पर प्रतिबंध भी रहा। जून में अनलॉक लागू होते ही तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम 86.30 रुपए कर दिए, जबकि वाहनों का आवागमन भी शुरू हुआ है।

रसोई गैस, दूध-घी में राहत: मार्च में लॉकडाउन लागू होने तक दूध के भाव 50 रुपए लीटर व घी 500 रुपए किलो था। लॉकडाउन में व्यापारियों ने दाम गिरा दिए। दूध 40 रुपए लीटर व घी 480 रुपए किलो बेचा। आधा जून बीतने तक दाम बढ़े नहीं है। घरेलू रसोई गैस सिलेंडर मार्च तक 769 रुपए में आ रहा था लेकिन सरकार ने लॉकडाउन में दाम गिरा कर 646 रुपए कर दिए। जून में यही कीमत है।

अतिरिक्त खर्च बढ़ा: सब्जियां धोने के लिए डिसइंफेक्टेट, हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर व फेस मास्क अब हर घर में शामिल हो गए हैं। निजी कंपनियों ने 6 सदस्यीय परिवार के लिए पैकेज तैयार किए हैं, जिसकी कीमत 1800 से 2100 रुपए है।

भास्कर
एक्सपर्ट पैनल

संजय अग्रवाल
चार्टड एकाउंटेंट

अनुभव प्रधान
चार्टड एकाउंटेंट

चंद्रेश जैन
चार्टड एकाउंटेंट



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