मसूद फरार; हाईकोर्ट में थी सुनवाई, भोपाल में दिनभर सील रहे जिला अदालत के सभी रास्ते

राजधानी में बुधवार को जिला अदालत के आसपास का इलाका सुबह से ही किसी छावनी सा नजर आ रहा था। जगह-जगह बैरिकेडिंग और भारी पुलिस बल। ये इंतजाम धार्मिक भावना आहत करने के एक मामले में फरार चल रहे कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अग्रिम जमानत की याचिका पर हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई के चलते किए गए थे। दिनभर उनके सरेंडर की अटकलें चलती रहीं।
सुरक्षा के लिहाज से थाना तलैया समेत शहर के 10 प्रमुख स्थानों पर फोर्स तैनात किया गया था। 10 दिन से पुलिस विधायक मसूद ठिकानों पर दबिश दे रही है। उनका फरारी पंचनामा कोर्ट में पेश किया जा चुका है। जिला अदालत उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुकी है। बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट में मसूद के वकील विवेक तन्खा व अजय गुप्ता ने पक्ष रखा। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पुरुषेंद्र कौरव ने दलीलें दीं। हालांकि कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
1 एएसपी, 2 डीएसपी व 4 टीआई समेत 125 से ज्यादा फोर्स लगाई
- 10 दिन से पुलिस टीम दे रही है दबिश
- 10 प्रमुख स्थानों पर फोर्स किया था तैनात
- 500 पुलिसकर्मी रहे सुरक्षा में तैनात
दो अलग-अलग एफआईआर पर अपने-अपने तर्क
हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुजय पॉल की डिवीजन बेंच में अधिवक्ता विवेक तन्खा और अजय गुप्ता ने तर्क दिया कि 29 अक्टूबर को मसूद के खिलाफ सिर्फ कलेक्टर के आदेश के उल्लंघन की एफआईआर हुई थी। 4 नवंबर को जानबूझकर भड़काऊ भाषण की एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर में जिन भड़काऊ बातों का उल्लेख है, वो भाषण में नहीं हैं। एक ही मामले में दो अलग एफआईआर नहीं हो सकती। महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने विरोध करते हुए कहा कि एक केस में दो एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं। मसूद पर 29 केस हैं, उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं मिलना चाहिए। कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया है।
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