बैठक में नहीं पहुंचा प्रबंधन, पत्र में कहा- उज्जैन रेड जोन में, हम वहां आए तो 14 दिन के लिए होना पड़ेगा क्वारेंटाइन

लॉकडाउन अवधि के वेतन भुगतान काे लेकर ठेका श्रमिकों और ग्रेसिम प्रबंधन के बीच गतिराेध पर विराम लगाने के लिए सहायक श्रमायुक्त द्वारा ठेका श्रमिक प्रतिनिधि मंडल और प्रबंधन के बीच चर्चा की कोशिश असफल हो गई है।
मंगलवार दोपहर 1 बजे दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य के लिए सहायक श्रमायुक्त मेघना भट्ट ने उज्जैन कार्यालय पर उपस्थित रहने को कहा था। सूचना पर श्रमिकों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल तो पहुंच गया, मगर ग्रेसिम प्रबंधन की ओर से कोई भी अधिकारी उपस्थित नहीं हुआ। हालांकि ग्रेसिम प्रबंधन ने सहायक श्रमायुक्त को एक पत्र भेजकर उपस्थित न रहने का कारण कोरोना संक्रमण बताया है। पत्र में यह लिखा है कि अगर बैठक में ग्रेसिम के अधिकारी पहुंचते हैं तो उन्हें वापस लौटने पर (क्योंकि उज्जैन रेड जोन में) सरकारी दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन होना होगा। इसलिए बैठक में उपस्थित होना संभव नहीं होगा।
श्रमिकों का तर्क यह... लॉकडाउन का वेतन न देना असंगत
सहायक श्रमायुक्त के समक्ष उज्जैन पहुंचे ठेका श्रमिक के तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल में शामिल अशोक मीणा, कमलेश और जुझार सिंह ने बताया प्रबंधन 23 मार्च को लॉकडाउन के दिन अगर किसी श्रमिक का अवकाश या किसी कारण वह ड्यूटी पर नहीं पहुंचा या उसे रिटर्न भेजा गया, ऐसे श्रमिकों को प्रबंधन लॉकडाउन अवधि का वेतन नहीं दे रहा है, जबकि अवकाश, रिटर्न तो एक निर्धारित प्रक्रिया है। श्रमिक अचानक बीमार भी हो सकता है अथवा उसे 23 मार्च को कोई आवश्यक कार्य करना होगा, ऐसे में उसे वेतन से वंचित करना लॉकडाउन अवधि के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है।

तीन माह का आधार बनाकर दिया वेतन, ठेका श्रमिकों का दावा गलत

मामले में प्रबंधन की ओर से भेजे गए पत्र में ठेका श्रमिकों की शिकायत को भी निराधार बताया गया है। प्रबंधन का कहना है कि श्रमिक लॉकडाउन में हर माह की पूरी हाजरी का वेतन देने की मांग कर रहे हैं, जबकि वेतन का भुगतान संबंधित श्रमिकों की तीन माह की हाजरी को आधार मानकर दिया गया है। जो कि सही है। यानी की 23 मार्च से पहले के तीन माह में श्रमिक ने जितने दिन ड्यूटी की, उस प्राप्त संख्या में 3 का भाग देकर लॉकडाउन अवधि का वेतन माना गया। शिकायत वे ही श्रमिक कर रहे हैं, जो कभी भी माह में पूरी हाजरी नहीं करते, लेकिन लॉकडाउन में वेतन उन्हें पूरे माह का चाहिए।



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