सेवा से अभिभूत प्रवासी मजदूर बोले- लॉकडाउन खत्म होने के बाद कभी अहमदाबाद जाना हुआ तो यहां जरूर आएंगे
इस शहर को कभी नहीं भूल सकेंगे। लॉकडाउन खत्म हुआ और कभी अहमदाबाद जाने का मौका मिला तो नागदा ठहरकर जाएंगे। तीन दिनों में हमारे एक दर्जन दोस्त बने हैं, हम लोग उड़िया भाषा बोलते है। नागदा की मालवी भाषा हमें बहुत ही कम समझ आई। यहां के लोगों का अतिथि सत्कार जीवनभर याद रहेेगा। यह बात पैदल चलकर पहुंचे प्रवासी मजदूर बामिया मुंडा, राघव मुंडा, फाल्कन मुंडा और हिंदू मुंडा ने रायपुर जाने के दौरान कही। मालूम हो कि उक्त मजदूर तीन दिन पूर्व पैदल चलकर नागदा पहुंचे थे। बायपास मार्ग नागदा पर समाजसेवी मनोज राठी बारदानवाला ने मजदूरों का यहां से आगे पैदल न जाने देकर रायपुर तक पहुंचाने का वादा किया था। तीन दिन से फाउंडेशन सदस्य उन्हें यहां रोके हुए थे। राठी ने बताया कि चारों मजदूरों को उड़ीसा तक 1533 किमी का सफर तय करना है। नागदा से रायपुर 849 किमी है। मजदूरों का आधा सफर ट्रक से तय हो जाएगा। राठी ने मजदूरों को भेजने के लिए ट्रांसपोर्टर गुलजारीलाल त्रिवेदी की मदद मांगी। त्रिवेदी ने मंगलवार दोपहर 2.30 बजे रायपुर जा रहे तीन ट्रकों में चारों मजदूरों को भेजा। ट्रक चालकों का सम्मान कर उन्हें नकद राशि दी गई।
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