सरकारी अस्पताल में दिया बेटे को जन्म

श्रमिक एक्सप्रेस में मुंबई से उप्र के प्रयागराज लौट रही महिला को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने पर बुरहानपुर स्टेशन पर उतारकर सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया। यहां उसने बेटे को जन्म दिया। माता-पिता ने उसका नाम लॉकडाउन यादव रखा है।
उप्र के अंबेडकर जिला निवासी उदयभान यादव पत्नी रीता के साथ घर जाने के लिए मुंबई से श्रमिक एक्सप्रेस में सवार हुए थे। रीता को नौ महीने का गर्भ था। भुसावल स्टेशन पर उसे हल्का दर्द उठा। वहां से निकलने के बाद ट्रेन सिग्नल नहीं मिलने कारण रास्ते में रुक गई। इस बीच रीता का दर्द बढ़ने लगा। उदयभान ने ट्रेन की टिकट पर दिए हेल्पलाइन नंबर पर सूचना दी। वहां से बुरहानपुर स्टेशन पर उन्हें उतारने की सूचना दी गई। शुक्रवार सुबह 5 बजे आरपीएफ चौकी प्रभारी आरएस महाजन ने उन्हें स्टेशन पर उतारा और एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां एक घंटे बाद रीता ने बेटे को जन्म दिया। लॉकडाउन और विपरित परिस्थितियों में जन्म होने के कारण उसका नाम लॉकडाउन यादव रख दिया गया। उदयभान ने बताया उनका विवाह 2013 में हुआ था। बच्चा नहीं होने पर डॉक्टरी इलाज भी कराया। पहला ही बच्चा इस तरह की परिस्थितियों में होगा, सोचा नहीं था। उदयभान मुंबई में लेथ मशीन पर काम करता है।
परिवार की तरह रेलवे ने दी सुविधा: प्रसव के बाद रीता और उदयभान बेटे को लेकर रेलवे स्टेशन आ गए, ताकि अन्य किसी ट्रेन से घर लौट सकें। लेकिन आरपीएफ थाना प्रभारी भूपेंद्रसिंह सिंधू ने वर्तमान ट्रेनों की स्थिति को देखते हुए उन्हें मना कर दिया। रेलवे के अधिकारियों से बातकर स्टेशन के एसी वेटिंग रूम में उनके रूकने की व्यवस्था कर दी। रेलवे ने परिवार की तरह रीता और उसके बच्चे के कपड़ों से लेकर हर जरूरत का सामान उपलब्ध कराया। रीता ने कहा इतनी सुविधा उन्हें अपने परिवार में भी नहीं मिलती, जितनी रेल पुलिस और अधिकारियों ने मुहैया कराई हैं।
निजी वाहन से भेजने का कर रहे प्रयास
रीता और उसके बेटे को जीआरपी और आरपीएफ श्रमिक एक्सप्रेस से भेजना नहीं चाहती है। गर्मी और ट्रेनों के घंटों देरी से चलने से बच्चे की सेहत को नुकसान हो सकता है। इसलिए उन्हें निजी वाहन से भेजने का प्रयास कर रहे हैं। आरपीएफ थाना प्रभारी भूपेंद्रसिंह सिंधू ने बताया परिवार को निजी वाहन से घर भेजेंगे।
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