मजदूराें की कमी से बढ़ सकता है मूंग की कटाई का खर्च, वनग्रामाें से नहीं आ रहे मजदूर

क्षेत्र में इस साल हजारों एकड़ में मूंग फसल लगाई गई है। कहीं कटाई शुरू हाे चुकी है, ताे कहीं मजदूराें की कमी से शुरू नहीं हुई है। हर बार वनग्रामाें से मजदूर आते थे, लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण नहीं आ सके। कुछ मजदूर आना चाहते हैं, लेकिन वह लाॅकडाउन की वजह से नहीं आ सके। इस बार कटाई के लिए किसानों को काफी परेशान होना पड़ेगा। गांव के मजदूर 3000 रुपए प्रति एकड़ मूंग कटाई और निकलवाई का खर्च बता रहे हैं। वैसे हर बार 2000 से 2200 रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। किसानों को मजदूर नहीं मिलने से अधिक दामों पर काम कराना पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण नहर का पानी आने के कारण लगभग हर खेत में मूंग फसल की बाेवनी है। मूंग का रकबा काफी बढ़ गया है।

किसान प्रकाश केवट, आनंद पटेल, संदीप सोलंकी ने कहा मजदूरों को लाने के लिए प्रशासन को पूरी तरह छूट देनी चाहिए, जिससे समय पर फसल की कटाई हाे सके। यदि बारिश शुरू हो जाती है तो किसानों की फसलें खेत में ही खराब हाे जाएंगी। इस बार हार्वेस्टर भी कम ही चलेंगे, जिसका मुख्य कारण पंजाब से हार्वेस्टर चालकाें का नहीं आ पाना है। किसानाें ने कहा कि मजदूराें से कटाई कराने में मंडी में मूंग का भाव अधिक मिलता है। इसके उलट हार्वेस्टर से कटाई कराने पर मूंग की क्वालिटी खराब हाे जाती है।

बघवाड़ में मजदूराें से काटवाई जा रही मूंग फसल
ब्लाॅक में मजदूराें की मदद से मूंग कटाई शुरू हाे चुकी है। बघवाड़ के किसान ऋषि जायसवाल ने बताया कि लाॅकडाउन के पहले से ही आदिवासी अंचल के गोहटी गांव से आए मजदूराें से मूंग कटाई करा रहे हैं। ये किसान चना काटने आए थे। गांव में इन्हें लगातार काम िमला, इसलिए ये गांव नहीं गए। अन्य गांवाें में भी चना काटने मजदूर आए थे जाे लाैट गए। एेसे में किसानाें काे मजदूराें की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है।



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