लहसुन की फसल में पीलापन रोग लगने से किसान चिंतित

क्षेत्र में लहसुन की फसल का रकबा ज्यादा है। अच्छे भाव की आशा लिए किसान भी अच्छी फसल के लिए मेहनत भी कर रहे हैं लेकिन बार-बार बदलते मौसम के कारण लहसुन की फसल पीलेपन की शिकार हो रही है।

दवाई विक्रेताओं द्वारा बताई गई दवाइयों का छिड़काव किसान कर रहे हैं। दंतोडिया के किसान प्रमोद गोयल ने बताया कि मैंने 3 बीघा की लहसुन बोई है। इसमें पीलापन का रोग लग गया है। बाजार से दुकानदार द्वारा बताई दवाई का छिड़काव किया है। 5 दिन बाद पता चलेगा कि दवाई ने काम किया या नहीं। प्रीतमनगर के किसान दिनेश पाटीदार ने बताया कि मेरे खेत में लहसुन की फसल में पीलापन रोग लगा है। यह पीला फंगस है। बाजार से दवाई लाकर छिड़काव किए जाने से हो सकता है यह रोग नष्ट हो जाए। अगर उसके बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता है तो कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर उन्हें समस्या से अवगत कराया जाएगा।

मौसम के कारण हो सकती है बीमारी, सल्फर की कमी का मान रहे प्रभाव
कृषि उपसंचालक जी एस मोहनिया ने बताया कि किसानों द्वारा जल्दी बोवनी करने के साथ ही बीच में कोहरा व मावठे के कारण मौसम में आए परिवर्तिन के चलते फसल में पीलापन आ गया है। यह डाउनी मिल्डयू और व्हाइट रॉड (जड़ की बीमारी) बीमारी का मिक्स होना सामने आ रहा है। इस पीलेपन के कारण सल्फर की कमी भी नजर आ रही है।

अगर फसल 60 दिन के अंदर की हे तो अमोनियम सल्फेट खाद का भुरकाव करें और 60 दिन से ज्यादा की होने पर 18-18-18 इक्कों कंपनी 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल मिलाकर स्प्रे करें। दोनों का उपयोग एक साथ न करें। इसके बाद पीलापन कम हो जाए और बाद में बीमारी दिखाई देने पर रेडोमिल या क्रेलेकजिल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें। ज्यादा जानकारी के लिए किसान कालूखेड़ा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।



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खेत में दवा का छिड़काव करते हुए किसान प्रमोद गोयल।


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