रेलवे ने महँगी जमीन पर जेंट्री गेट बनाकर मात्र 2 लाख रुपए साल में होर्डिंग लीज पर दी

कोरोना काल के दौरान राजस्व की कमी से जूझते पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन ने कमाई करने का नया तरीका निकाला है, जिसमें रेलवे की खाली पड़ी जमीनों पर होर्डिंग लगाकर उसे विज्ञापन एजेंसियों को लीज पर दिया जा रहा है, जिससे रेलवे की 2 से 5 लाख रुपए साल की कमाई हो रही है।

हालाँकि जाने-अनजाने में ही सही लेकिन रेलवे से प्रदेश में लागू होर्डिंग पॉलिसी की अनदेखी हो रही है, क्योंकि प्रदेश सरकार की नीतियों के तहत ज्यादा भीड़ वाली जगहों से बड़े होर्डिंग हटाने जाने की मुहिम शुरू हो चुकी है और ऐसी ही खास लोकेशन पर रेलवे अपनी जमीन को कमाई के लिए इस्तेमाल कर उसे विज्ञापन एजेंसियों को लीज पर देकर कमाई कर रहा है, जिसकी वजह से शहर में रेलवे की जमीन पर लगने वाले होर्डिंग्स की संख्या बढ़कर 60 हो गई है। बताया जा रहा है कि रेलवे अपने राजस्व को बढ़ाने और भी होर्डिंग्स लगाने की तैयारी कर रहा है।

मदन महल रेलवे स्टेशन के बाहर लगाया मेगा जेंट्री गेट
जबलपुर रेल मंडल के वाणिज्य विभाग ने कोरोना काल में कम होते राजस्व को थामने के लिए मदन महल रेलवे स्टेशन के बाहर मेगा जेंट्री गेट बनाकर उसे विज्ञापन एजेंसियों के हवाले कर दिया है। जानकारी के अनुसार मदन महल स्टेशन के बाहर अंडर ब्रिज के पहले की मेन रोड के दोनों ओर बड़े-बड़े पिलर गाड़कर रेलवे ने करीब 100 फीट से ज्यादा का जेंट्री गेट बनाकर, उसे 10 लाख रुपए में 5 साल के लिए एसएस एडवरटाइजर्स को लीज पर दे दिया है। इसी के साथ मदन महल रेलवे स्टेशन के दोनों ओर बड़े होर्डिंग्स लगाकर उन्हें भी विज्ञापन एजेंसियों को देने की तैयारी की जा रही है। इससे पहले मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नं. 1 के बाहर और छोटी लाइन फाटक चौक पर भी डिजीटल बोर्ड लगाए जा चुके हैं। वहीं प्लेटफॉर्म नं. 6 के बाहर एल्गिन अस्पताल के सामने के रास्ते पर भी बड़ा जेंट्री गेट बनाया जा रहा है, जिसे आने वाले दिनों में कमाई बढ़ाने के लिए किसी विज्ञापन एजेंसी को दे दिया जाएगा।

आय बढ़ाने किए जा रहे प्रयास
आय को बढ़ाने के लिए रेलवे स्टेशन के अलावा जहाँ भी प्राइम लोकेशन पर रेलवे की भूमि है, वहाँ पर डिजिटल बोर्ड और जेंट्री गेट बनाकर उसे विज्ञापन एजेंसियों को लीज पर दिया जा रहा है। इससे रेलवे का राजस्व बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
-विश्व रंजन, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल

हाईकोर्ट ने कहा- जनता की सुरक्षा को अगर खतरा हो तो रेलवे को खतरनाक होर्डिंग्स हटा देने चाहिए
शहर के प्रमुख चौराहों के बाजू से लगी रेलवे की जमीन पर लगे भारी-भरकम होर्डिंग्स के कभी भी गिरने और उन पर लगे विज्ञापनों की वजह से वहाँ से गुजरने वाले लोगों का ध्यान भटकने को लेकर मप्र हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए अक्टूबर 2018 में जस्टिस रोहित आर्य ने इंदौर नगर और रेलवे के आपसी समन्वय के आधार पर चौराहों पर लगने वाले ऐसे होर्डिंग्स को हटाने के निर्देश दिए थे, जो खतरनाक हैं और इन होर्डिंग्स पर लगे विज्ञापनों की ओर आकर्षित होने वाले लोगों का ध्यान वाहन चलाते समय भटक जाता है और दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

रोड-साइड होर्डिंग्स को हटाना जनहित में जरूरी
एक अन्य मामले में मप्र हाईकोर्ट इंदौर बेंच के जस्टिस एससी शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अक्टूबर 2018 में सेफ ट्रैफिक के लिए रोड-साइड होर्डिंग्स को हटाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में दायर याचिका का हवाला देते हुए कहा था कि सड़कों पर सिर्फ दिशा-सूचकों के अलावा और किसी भी प्रकार के होर्डिंग्स या अन्य प्रचार सामग्री नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे वाहन चलाने वालों की एकाग्रता भंग होती है और लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 का नहीं किया जा रहा पालन

  • यह सही है कि कोरोना काल में अपनी आय को बढ़ाने के लिए पश्चिम मध्य रेल प्रशासन रेलवे की भूमि पर होर्डिंग्स लगाकर उन्हें विज्ञापन एजेंसियों को लीज पर दे रहा है, लेकिन रेलवे द्वारा आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। पॉलिसी के अनुसार रेलवे को इन नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि रेलवे की भूमि नगर निगम की जमीन से लगी हुई है।
  • 5 लाख से ऊपर की जनसंख्या पर सिर्फ़ यूनीपोल लगाए जा सकते हैं, जबकि रेलवे लोहे के मोटे एंगल्स पर होर्डिंग लगा रहा है।
  • दो होर्डिंग्स के बीच की दूरी 50 मीटर या उससे अधिक होनी चाहिए लेकिन रेलवे के होर्डिंग्स के बीच में तो कहीं-कहीं 1 मीटर का भी फासला नहीं है, कहीं-कहीं तो एक के बाजू में दूसरा होर्डिंग लगा दिया गया है।
  • निगम की एथलेटिक्स को ख़राब नहीं करना चाहिए लेकिन रेलवे ने चौराहों के बाजू से अपनी जमीन पर डिजिटल वॉल और होर्डिंग्स तान दिए हैं, जिसके कारण लोगों का ध्यान भटक रहा है।
  • इस संदर्भ में इंदौर नगर निगम द्वारा इंदौर हाई कोर्ट में केस जीता गया है जिसमें साफ तौर पर रेलवे को निगम के कानून के हिसाब से चलने कहा गया है। जो होर्डिंग्स निगम की सीमाओं से या सड़कों से देखे जा सकते हों उन्हें यह नियम पालन करना जरूरी है।
  • होर्डिंग लगाने से पहले नगर निगम से अनुमति लेना अनिवार्य है और विधिवत अनुमति लेकर टैक्स जमा करने के बाद ही होर्डिंग लगाने का प्रावधान है। हालाँकि रेल प्रशासन का कहना है कि नगर निगम को रेलवे से टैक्स वसूल करने का कोई अधिकार नहीं है।


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सुरक्षा दरकिनार- हाल के कुछ वर्षों में होर्डिंग, जेंट्री गेट से दुर्घटना के कई मामले सामने आने के बाद शहर भर से भारी भरकम विज्ञापन बोर्ड हटाने की कार्यवाही की गई थी, लेकिन रेलवे ने महज कमाई के चक्कर में मदन महल स्टेशन परिसर में विशालकाय जेंट्री गेट तान दिया है।


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