8 निर्माण कार्यों के लिए 101.9 करोड़ रुपए मंजूर, टेंडर भी हो चुके पर जमीन ही नहीं मिली

शहर में संगीत महाविद्यालय सहित 100 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स को जमीन की तलाश है। खास बात तो यह कि राशि स्वीकृत होने और टेंडर होने के बाद भी प्रोजेक्ट के लिए राजस्व अमले ने उचित और निर्विवाद जमीन का आवंटन ही नहीं किया गया।
ऐसे में शहर विकास के महत्वपूर्ण काम वर्षों से अटके हुए हैं। मॉडल स्कूल की बिल्डिंग के लिए तो भूमिपूजन तक हो गया। जमीन विवाद के चलते यह निर्माण भी शुरू नहीं हो पाया है। संगीत महाविद्यालय जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से पिछले 4 साल से अटका हुआ है। जिसके लिए 10.76 करोड़ रुपए स्वीकृत हैं। पीजीबीटी कैम्पस में जमीन फाइनल नहीं हो पाने की वजह से निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। अब उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने रुके हुए निर्माण कार्यों को फिर से शुरू करवाने की पहल की है। वे प्रत्येक शनिवार या रविवार के दिन प्रोग्रेसिव डेवलपमेंट कमेटी की बैठक लेंगे और बाधाओं को दूर करवा कर निर्माण कार्यों को शुरू करवाएंगे।

ये डेवलपमेंट होना है

मॉडल स्कूल बिल्डिंग- स्कूल की बिल्डिंग दो मंजिला बनाई जाना है। वर्ष 2012 में शासन द्वारा 2.97 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं, टेंडर भी हो चुका और एजेंसी भी तय है। उसके बावजूद जमीन नहीं मिल पाने से स्कूल बिल्डिंग का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि टेंडर निरस्त कर दिया है।
महाराजवाड़ा स्कूल बिल्डिंग- स्कूल बिल्डिंग के लिए 3 साल पहले 1. 75 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। बिल्डिंग निर्माण के लिए टेंडर भी हो चुके हैं। हीरामल क्षेत्र में दो बिल्डिंग का निर्माण होना था। जमीन विवाद के चलते निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
डीडीआरसी बिल्डिंग- जिला निशक्त पुनर्वास केंद्र बिल्डिंग के लिए वर्ष 2017 में 2.92 करोड रुपए स्वीकृत किए थे। बिल्डिंग निर्माण के लिए 2019 में टेंडर भी हो चुका है लेकिन जमीन नहीं मिल पाने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।
एस्ट्रोटर्फ- हॉकी का एस्ट्रोटर्फ वर्ष 2014 से स्वीकृत है। इसके लिए 4 करोड की राशि स्वीकृत हुई थी। जो बढ़कर आठ करोड़ हो गई है। जमीन आवंटन नहीं हो पाने की वजह से कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है।
550 स्टूडेंट्स के लिए 4 हॉस्टल- उज्जैन में बॉयज एंड गर्ल्स के लिए चार हॉस्टल का निर्माण प्रस्तावित है। 16.50 करोड़ रुपए स्वीकृत भी हो चुके हैं। इनमें से 4:30 करोड़ से बनने वाले 180 सीटर हॉस्टल का टेंडर भी हो चुका है लेकिन जमीन का आवंटन नहीं हो पाने से निर्माण नहीं हो पा रहा है।
कन्या शिक्षा परिसर- सोडंग के समीप कन्या शिक्षा परिसर का निर्माण होना है। इसके लिए 27-27 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। जमीन का आवंटन कम होने से इसका निर्माण रुका हुआ है हालांकि अब शासन ने इसे होल्ड पर रख दिया है।
कोर्ट बिल्डिंग- नागदा में छह कोर्ट बिल्डिंग का निर्माण होना है। इसके लिए 2.24 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। जिला प्रशासन की ओर से उक्त जमीन उपलब्ध बता दी लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं है। हाईकोर्ट ने जमीन के दस्तावेज और डीपीआर तलब की है।
यहां है सरकारी जमीन- दाऊदखेड़ी और कानीपुरा में सरकारी जमीन उपलब्ध है। दाऊदखेड़ी में आरटीओ बिल्डिंग का निर्माण हुआ है।

अधिकांश जमीन को लेकर विवाद
स्कूल व हॉस्टल बिल्डिंग आदि के लिए प्रोजेक्ट स्वीकृत हैं। कुछ के टेंडर भी हो चुके हैं लेकिन जमीन नहीं मिल पाने की वजह से निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पा रहे हैं। अधिकांश जमीन को लेकर विवाद है।
-बीडी शर्मा, ईई, पीआईयू
शहर व जिले में रुके निर्माण कार्यों को शुरू करवाने के लिए प्रोग्रेसिव डेवलपमेंट कमेटी की हर सप्ताह बैठक ली जाएगी। जमीन के जो इशू हैं, उनका निराकरण किया जाएगा और जल्द ही रुके कार्यों को शुरू करवा दिया जाएगा। इसे पहली प्राथमिकता में लिया गया है ताकि शहर में विकास कार्य फिर से शुरू हो सके।
डॉ. मोहन यादव, कैबिनेट मंत्री, उच्च शिक्षा



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