नकली सीमेंट का इस्तेमाल कर 30 फीसदी तक कम रेट पर टेंडर लेकर हो रहा सरकारी सड़कों और इमारतों का निर्माण

स्वच्छ भारत मिशन के तहत बन रहे सार्वजनिक और निजी शौचालयों से लेकर गलियों में बनने वाली सीमेंट कांक्रीट की सड़कें एक-दो साल में खराब क्यों हो जाती है? इसका जवाब है कि इनमें धड़ल्ले से नकली सीमेंट का उपयोग हो रहा है। आम तौर पर इन निर्माण की क्वालिटी को लेकर आम लोग शिकवा शिकायत नहीं करते, इसलिए ज्यादातर के बारे में पता ही नहीं लगता।
भोपाल जिले में नकली सीमेंट के उपयोग का यह खुलासा हाल ही में पुलिस की जांच में हुआ है। तीन दिन पहले पुलिस ने इमलिया बायपास और मालीखेड़ी के पास नकली सीमेंट पकड़ी थी। इसके बाद आगे बढ़ रही जांच में नई और चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रहीं हैं।
मजबूत नहीं होता निर्माण
यह डेड सीमेंट असली सीमेंट की तरह जमकर कड़क नहीं हो सकती, बल्कि कुछ समय बाद गिरने लगती है। नतीजा ज्यादा से ज्यादा छह माह के भीतर बिल्डिंग के स्ट्रक्चर में दरारें नजर पड़ जाती हैं। कुछ ही दिनों में यह गिर भी सकता है।
बैरसिया में 10 लाख की लागत से नकली सीमेंट का इस्तेमाल कर बनाई सड़क
बैरसिया की कलोरा पंचायत में अल्ट्राटेक जैसी नामी कंपनी के ब्रांड नेम का इस्तेमाल कर बनाए जा रहे अमानक सीमेंट से कई सरकारी निर्माण हुए हैं। 3.44 लाख की लागत से यहां सुलभ कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। ग्राम पंचायत के चार पहाड़ी गांव में दस लाख की लागत से आरसीसी रोड तैयार कर ली गई है। ये खुलासा इमलिया बायपास स्थित गोदाम से क्राइम ब्रांच को मिली एक डायरी से हुआ है। इसमें निर्माण कराने वालों को कई बोरी सीमेंट बेचने का हिसाब मिला है।
8 साल पुराने एसओआर पर निर्माण संभव नहीं क्योंकि सब कुछ हुआ महंगा
शेड्यूल ऑफ रेट्स (एसओआर) से 30 % कम पर सरकारी निर्माण हो रहे हैं। यह एसओआर 2012 में तय हुआ था। 2012 से अब तक निर्माण सामग्री की कीमत में काफी इजाफा हुआ है। इसके अलावा मजदूरी महंगी हुई है और डीजल-पेट्रोल सहित अन्य लागत भी बढ़ी है। यदि इन सबको जोड़ा जाए तो आसानी से समझ आता है कि एसओआर से कम पर तो निर्माण संभव ही नहीं है। ऐसे में इससे 30 फीसदी तक कम रेट पर तो निर्माण ही संभव नहीं है। सरकारी निर्माण के कांट्रेक्टर अनौपचारिक चर्चा में स्वीकार करते हैं कि वे ‘मिनी प्लांट’ के नाम से यह सीमेंट खरीदते हैं।
एक्सपर्ट की राय-ऐसे कर सकते हैं असली व नकली सीमेंट की पहचान
स्ट्रक्टर इंजीनियर राजेश चौरसिया ने बताया कि सीमेंट की बोरी में हाथ डालने पर असली सीमेंट ठंडक देती है। यदि आप सीमेंट खरीद रहे हैं तो देख लें कि सीमेंट का रंग एक सामान होना चाहिए। यानी थोड़ा डार्क और थोड़ा लाइट नहीं होना चाहिए। नकली सीमेंट में मिलावट होने से रंग अलग-अलग नजर आता है। सीमेंट उंगलियों के बीच में रगड़ कर देखें। रगड़ते समय सीमेंट चिकना होना चाहिए। इसके अलावा सीमेंट को पानी में डालकर भी टेस्ट कर सकते हैं। अच्छा सीमेंट पानी में डालने पर एकदम डूबता नहीं है। बल्कि कुछ समय तक ऊपर तैरता रहता है।
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