जिनवाणी दिवस के रूप में मना श्रुत पंचमी पर्व

जैन समाज द्वारा बुधवार को श्रुत पंचमी का महापर्व घर-घर में भक्तिभाव से मनाया गया। लॉकडाउन के चलते मां जिनवाणी और शास्त्र जी की पूजन घर में ही गई।इस मौके पर धार्मिक टीवी चैनलों से प्रसारित मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज द्वारा आयोजित श्रुत पंचमी विधान का लाइव प्रसारण देखकर श्रद्धालुओं ने घरों में ही श्रुत पंचमी का विधान किया।
आचार्यश्री विद्यासागर पाठशाला चौधरी मोहल्ला की संचालिका ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी ने बताया कि जैन धर्मावलंबी जेष्ठ शुक्ल पंचमी को श्रुत पंचमी पर्व मनाते हैं।24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी निर्वाण के बाद लगभग 2000 वर्ष पूर्व आचार्य धरसेन ने अपने शिष्य पुष्पदन्त और भूतबलि को आदेश दिया कि महावीर स्वामी की दिव्य वाणी को लेखन के माध्यम से संरक्षित किया जाए।जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ’षट्खण्डागम की रचना प्राकृत भाषा में जेष्ठ शुक्ल पंचमी को शुरू की गई थी।तब से जैन धर्मावलंबी इस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाते हैं।इस दिन जैनधर्मावलम्बी जिनवाणी का विधिवत पूजन और वाचन करते हैं।
चलो संजाएं शास्त्र,करें श्रृंगार मां जिनवाणी का: इस मौके पर दिगंबर जैन सोशल ग्रुप वर्धमान द्वारा घर-घर में ‘चलों संजाएं शास्त्र, करें श्रृंगार माँ जिनवाणी का प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रुप की सदस्याओं ने धार्मिक शास्त्र एवं ग्रंथों की आकर्षक साज-सज्जा घरों में की गई। ग्रुप के मीडिया प्रभारी दीपेश पाटनी ने बताया कि संजाएं गए शास्त्रों का ग्रुप के स्वतंत्र निर्णायक मंडल के द्वारा विजेता घोषित किया जाएगा।जिसमें प्रथम,द्वितीय,तृतीय,चतुर्थ,पंचम तथा प्रोत्साहन पुरस्कार ग्रुप द्वारा दिए जाएंगे।
महामारी के चलते घरों में ही प्रभावना पूर्वक मनाया पर्व
तीर्थंकर प्रभु की दिव्य ध्वनि से प्राप्त वाणी,जो समस्त जीवों के कल्याण की आधार है, उस वाणी के लेखन कार्य के क्रम में प्रथम ग्रंथ के लेखन की पूर्णता ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को हुई थी।श्रुत पंचमी के दौरान शहर के विभिन्न जिनालयों में विराजमान शास्त्रों के रूप में जिनवाणी का रख रखाव कर नए वस्त्र प्रदान किए जाते थे। इस वर्ष लॉकडाउन के चलते मंदिरों में कार्यक्रम नहीं हुए।श्रद्धालुओं ने घरों में विराजमान जिनवाणी मां की पूजा की।सामान्यत: पूरे देश में श्रुत आराधना का यह पर्व अत्यंत भक्ति-भाव व प्रभावना पूर्वक मनाया जाता है।



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