गणाचार्य का ऊमरी में ससंघ मंगल प्रवेश, आज मंदिर पर चढ़ेंगे शिखर

मंगलवार को ऊमरी कस्बे में सुबह जैन संत गणाचार्य विराग सागर और मुनि विहंसत सागर महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश हुआ। गणाचार्य संघ के आगमन के एक दिन पहले ही जैन समाज के लोगों ने कस्बे को भव्य रूप से सजाया। लोगों ने जगह-जगह बैनर, पोस्टर, झंडे, स्वागत द्वार और रंगोली बनाकर सजावट की। इस दौरान महिलाओं ने पीली साड़ी और पुरुषों ने श्वेत वस्त्र पहनकर गणाचार्य संघ का भव्य स्वागत किया। इस दौरान श्रद्घालुओं ने गणाचार्य संघ का पाद प्रक्षालन किया और पवित्र जल को अपने माथे पर लगाया। बता दें कि गणाचार्य विराग सागर महाराज के संघ में 50 अन्य जैन संत शामिल हैं।
गौरतबल है कि मंगलवार को गणाचार्य विराग सागर महाराज ससंघ मंगलवार सुबह 8 मंगल विहार करते हुए कस्बे के जैन मंदिर में आयोजित दो दिवसीय शिखर कलश कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचा। जहां एक धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा के पहले श्रद्घालुओं ने विराग सागर महाराज की आरती करते हुए आशीर्वाद लिया। इसी क्रम में श्रद्घालु रविंद्र जैन ने शास्त्र भेंट किए। जिसके बाद संत गणाचार्य विराग सागर और मुनि विहंसत सागर महाराज के सानिध्य में श्रद्घालुओं ने भगवान आदिनाथ का अभिषेक किया। साथ ही मंदिर के शिखर पर लगने वाले कलशों का पूजन कर उनकी शुद्घि की गई। वहीं ध्वजारोहण श्रद्घालु रविसेन जैन ने किया था।इस दो दिवसीय कार्यक्रम में जो भी लोग शामिल होने के लिए आए वे सभी शासन के नियम का पालन करें और सोशल डिस्टेंस में रहे।
मंदिर के शिखर पर चढ़ेंगे कलशःशिखर कलश कार्यक्रम के दूसरे दिन बुधवार को गणाचार्य विराग सागर महाराज के सानिध्य में मंदिर के शिखर पर कलश चढ़ाए जाएंगे। साथ ही मंदिर परिसर में विश्वशांति महायज्ञ का आयोजन होगा। इस मौके पर शहर सहित ऊमरी कस्बे के सैकड़ों जैन श्रद्घालु मौजूद रहेंगे।
बिना शिखर के मंदिर पूर्ण नहीं माना जाताः गणाचार्य
धर्मसभा में गणाचार्य विराग सागर महाराज ने बताया कि भगवान राम की जन्मभूमि की खुदाई से जो भी सामग्री निकली है उस सामग्री का कोई भी भाग अगर आप लोगों के पास है तो उसको हमेशा संभालकर रखें क्योंकि अयोध्या भगवान की जन्मभूमि होने के साथ यह भूमि जैन तीर्थंकरों की भी भूमि है। महाराज ने कहा कि जब-तक किसी भी मंदिर के शिखर पर कलश विराजमान नहीं होता है तब-तक वह मंदिर पूरा नहीं माना जाता। मंदिर एक ऐसा स्थान हैं जहां पर जप साधना करने से सकारात्मक जीवन से धरती में एक विशेष दैवीय ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है। माना जाता है कि मंदिर के अंदर नहीं जा पा रहे हैं तो बाहर से ही मंदिर के शिखर को प्रणाम कर सकते हैं, शिखर के दर्शन से भी उतना पुण्य मिलता है जितना मंदिर में प्रतिमा के दर्शन करने से मिलता है। मंदिर के शिखर दर्शन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
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