पुराने स्वरूप में लौटेगा ज्योति स्नान महोत्सव, नहीं होगा भंडारा

देश भर के सिंधी समाज की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक ज्योति स्नान इस साल 4 दशक पुराने स्वरूप में मनाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण भव्य आयोजन को पारंपरिक रूप से धार्मिक रीति रिवाजों की पूर्ति के साथ पूरा किया जाएगा। इस साल त्रिदिवसीय ज्योति स्नान 21 जुलाई से 23 जुलाई तक आयोजित होगा। आयोजन को लेकर हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। समाज को 30 जून को कोरोना को लेकर केन्द्र सरकार की नई गाइड लाइन का भी इंतजार है। ताकि उसके हिसाब से आयोजन की रूपरेखा तैयार की जा सके।
संत हजारी राम पंचायत के मीडिया प्रभारी विजय सचदेवा ने बताया कि लगभग 4 दशक पूर्व सादा समारोह से ज्योति स्नान मनाया जाता था। श्री सचदेवा के अनुसार एक हाथ ठेला को सजा कर उस पर ज्योति को भांडेरी फाटक होते हुए ज्योति मंदिर के सेवादार व श्रद्धालु करन सागर ले जाते थे। उसी रूट से वापस आते थे। कोरोना के कारण इस बार भी उसी सादगी के साथ ज्योति स्नान मनाने पर विचार चल रहा है। बता दें कि सन् 1984 से ज्योति स्नान महोत्सव भव्य रूप से मनाया जा रहा है। देश भर से सिंधी समाज के लोग आते है। तीन दिन तक महिला संगीत सहित विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन निरंतर चलते है। मीडिया प्रभारी श्री सचदेवा कहते है कि इस बार बाहर के मेहमानों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
भंडारा करने पर भी सीमित लोगों के साथ विचार चल रहा है। अभी महोत्सव को लेकर किसी प्रकार की तैयारियां शुरू नहीं की गई। श्री सचदेवा के अनुसार हाल ही में एक बैठक आयोजित की थी। जिसमें तय किया गया कि 30 जून को कोरोना को लेकर केन्द्र शासन की नई गाइड लाइन जारी हो जाने दो। उसी गाइड लाइन के हिसाब से इसकी तैयारियां की जाएगी।
1950 में पाकिस्तान से ज्योति को लाकर मंदिर में स्थापित किया
सन् 1950 में ज्योति पाकिस्तान से दतिया आई थी। गिरधारी मल रतनाणी व प्रभूदास रामाणी इसे दतिया लेकर आए। पहले इसे बैंक घर की हवेली में स्थापित किया गया। सन् 1962 में ज्योति मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर निर्माण के बाद इसे ज्योति मंदिर में स्थापित कर दिया गया। तब से ज्योति मंदिर में ही स्थापित है।
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