31 जुलाई तक स्कूल बंद रखने का है आदेश, मौखिक निर्देश पर स्कूल पहुंच रहे शिक्षक
स्कूल से घर लौटते वक्त कनेरी हाईस्कूल की प्रभारी प्राचार्य सविता जाधव की गुरुवार की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इससे शिक्षक समाज सकते में है। बड़ा सवाल उठ रहा है कि 31 जुलाई तक स्कूल बंद है तो शिक्षकों को रोज स्कूल क्यों जाना पड़ रहा है। इसकी वजह है हमारा घर-हमारा स्कूल अभियान आ रहा है। एक तरफ स्कूल शिक्षा विभाग ने 31 जुलाई तक स्कूल बंद हैं तो दूसरी तरफ हमारा घर- हमारा विद्यालय अभियान 6 जुलाई से शुरू कर दिया। बच्चों को घरों में रहकर पढ़ाई करना है। शिक्षकों को रोज पांच बच्चों की चेकिंग करना है|
स्कूल बच्चों के लिए बंद हैंकार्यालय तो चल रहे हैं
डीईओ केसी शर्मा ने बताया शिक्षकों के स्कूल जाने के तो आदेश नहीं है लेकिन शासन के आदेश पर ही हमारा घर, हमारा विद्यालय अभियान चल रहा है। इससे शिक्षकों को बच्चों को चेक करने तो जाना ही है। वहीं स्कूल में डाक आती है और अन्य काम भी है। वैसे अन्य कार्यालय भी तो खुल रहे हैं। हमारा कार्यालय भी 4 मई से खुल रहा है। वहीं कलेक्टोरेट कार्यालय खुल रहा है और बाजार भी खुल रहे हैं। स्कूल में बच्चों को नहीं बुलाना है।
डीईओ, डीपीसी शिक्षकों पर आने का दबाव बना रहे
मप्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सर्वेश माथुर ने बताया शासन ने 31 जुलाई तक स्कूल बंद रखने के आदेश हैं। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए आगे भी स्कूल खुलेंगे या नहीं यह तय नहीं है। फिर भी डीईओ, डीपीसी और प्राचार्य शिक्षकों को स्कूल आने का दबाव डाल रहे हैं। लिखित में कोई आदेश नहीं है। मौखिक आदेश जारी किए जा रहे हैं। जब स्कूल ही बंद है और क्लासें नहीं लग रही है तो फिर शिक्षकों का स्कूलों में क्या काम है। शिक्षकों को स्कूल बंद होने के बाद भी बेवजह परेशान किया जा रहा है। इस संबंध में सोमवार को कलेक्टर को शिक्षकों की समस्या बताएंगे और ज्ञापन सौंपेंगे।
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