लॉकडाउन ने आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी, अब कहां से लाएं फीस?

स्कूल नहीं खुलने के बावजूद स्कूल प्रबंधकों द्वारा फीस के लिए दबाव बनाने से नाराज पालकों ने बुधवार को इंजीनियरिंग कॉलेज रोड के समीप स्थित मिशनरी स्कूल का घेराव कर दिया। पालकों ने प्राचार्य से यह तक कहा कि लॉकडाउन ने आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। आप ही बता दो कि फीस जमा करने के लिए हजारों रुपए कहां से लाएं? पालकों ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में डीईओ को भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपा।
नो स्कूल, नो फीस मुहिम के अंतर्गत क्रिस्ट ज्योति स्कूल के बाहर 150 से अधिक पालक एकत्रित हुए थे। पालकों ने बताया कि अभी स्कूल ही नहीं खुले हैं और कक्षाएं भी नहीं लग रही है। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन द्वारा वाट्सएप मैसेज के द्वारा जुलाई में ही फीस की पहली किस्त जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। ट्यूशन फीस के रूप में हजारों रुपए की फीस भरना अभी संभव नहीं है। क्योंकि लॉकडाउन के कारण कई पालकों की नौकरियां छूट चुकी है और कई व्यापारी पालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पालक स्कूल के मुख्य द्वार के सामने ही एकत्रित होकर विरोध करने लगे। स्कूल प्रबंधन ने पालकों के एक प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए स्कूल के भीतर बुलाया। प्रिंसिपल सिस्टर मर्लिन एवं स्कूल प्रबंधन के पदाधिकारियों ने पालकों से चर्चा की। हालांकि स्कूल प्रबंधन फीस माफ करने के बिंदु पर सहमत नहीं हुआ। प्रिंसिपल मर्लिन ने पालकों से कहा जो पैरेंट्स ट्यूशन फीस जमा नहीं कर सकते, वे उनसे व्यक्तिगत आकर मिल सकते हैं। स्कूल स्तर पर उनके लिए जो मदद होगी, वो की जाएगी। डेढ़ घंटे तक स्कूल के बाहर पालकों का हंगामा चलता रहा। इसके बाद सभी पालक दशहरा मैदान के समीप जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे। पालकों ने डीईओ रमा नाहटे से भी मांग की कि स्कूलों द्वारा बनाए जा रहे इस तरह के दबाव पर ठोस कार्रवाई की जाए। क्रिस्ट ज्योति स्कूल के अलावा कई स्कूल भी इसी तरह के मैसेज भेजकर पालकों को फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहे हैं। जबकि पालक नो स्कूल, नो फीस के अंतर्गत इसका विरोध कर रहे हैं।
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