कोविड दौर में भी पीथमपुर में विकास शुल्क 44% बढ़ाया, उद्योगपतियों को महंगी पड़ेगी जमीन

(संजय गुप्ता) कोविड के दौर और उपचुनाव के दौरान लगी आचार संहित के दौरान भी मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआईडीसी) ने पीथमपुर में विकास शुल्क में करीब 44 फीसदी की बढ़ोतरी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। पहले यह शुल्क 696 रु. प्रति वर्गमीटर था जो एक हजार रुपए कर दिया गया है।

इससे एक हेक्टेयर जमीन जो पहले उद्योगपति को दो करोड़ रु. में मिलती थी वह अब दो करोड़ 38 लाख रु. में पड़ेगी। यह फैसला विशेष तौर पर पीथमपुर पर ही लागू किया गया है, जहां पर मप्र की 70 से 80 फीसदी इंडस्ट्री के निवेश के प्रस्ताव आते हैं। वहीं खुद उद्योगमंत्री राज्यवर्धन दत्तीगांव का भी जिला है, जो खुद अभी उपचुनाव में खड़े हुए हैं।

वहीं विभाग मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक किसी को इस फैसले की जानकारी भी नहीं है। यह आदेश 23 अक्टूबर से लागू कर दिया गया है। शुल्क बढोतरी का फैसला एमपीआईडीसी के एमडी जॉन किंग्सली द्वारा लिया गया है। किंग्सली का कहना है कि आसपास जमीन के शुल्क अलग-अलग थे और इन्हें समान करने के लिए दाम बढ़ाए गए हैं।

लैंडपूल में जमीन ली है, निजी जमीनों के बढ़ेंगे दाम

जानकारों के अनुसार मप्र शासन ने लैंडपूल के तहत पीथमपुर में निजी जमीन अधिग्रहित की है, इससे उद्योगों को जमीन महंगी मिलेगी और उद्योगपति निजी जमीन खरीदने के लिए जाएगा, उनके दाम बढ़ेंगे।

143 करोड़ रुपए मिला था विकास शुल्क

एमपीआईडीसी इंदौर द्वारा कुल 182 हेक्टेयर जमीन उद्योगों को आवंटित की गई थी और इससे मप्र शासन को 143 करोड़ रुपए का विकास शुल्क व 106 करोड का जमीन प्रीमियम मिलाकर कुल 250 करोड़ का राजस्व मिला था।

400 से ज्यादा नहीं आता है विकास शुल्क

वहीं कुछ माह पहले इंडस्ट्री को बढावा देने के लिए यह प्रस्ताव भी गया था कि विकास शुल्क को कम किया जाए। दरअसल विकास शुल्क किसी एरिया को विकसित करने पर आया एमपीआईडीसी का खर्च है, जो वह पूरे प्लाट के वर्गमीटर एरिया में विभाजित कर औसत के अनुसार निकलता है। यह सामान्य तौर पर 400 रुपए प्रति वर्गमीटर आता है, इसी के चलते वर्तमान शुल्क 696 रुपए को भी कम करने का प्रस्ताव इंदौर से गया था लेकिन उलटे इसे बढ़ा दिया गया।



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प्रतीकात्मक फोटो।


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