नहीं निकलेगा चल समारोह, पंडालों से सीधे विसर्जन घाट जाएंगी दुर्गा प्रतिमाएं ताकि संक्रमण फैलने की आशंका कम हो

कोरोना के चलते राजधानी में इस बार चल समारोह आयोजित नहीं होगा। इस बार दुर्गा प्रतिमाएं पंडालों से सीधे विसर्जन घाट पर ले जाई जाएंगी। जिले के 7 घाटों पर विसर्जन की व्यवस्था कर दी गई है। घाटों पर बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं, ताकि भीड़ घाटों तक न पहुंचे।

संयुक्त कलेक्टर संजय श्रीवास्तव (9425470737) को कानून व्यवस्था पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम का नोडल अधिकारी बनाया गया है। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि एक प्रतिमा के साथ में 10 से अधिक लोग नहीं जाएंगे। इसके लिए बाहर तैनात पुलिसकर्मी नजर रखेंगे और अधिक लोग होने पर उन्हें रोक लिया जाएगा। झांकियों के बीच भी उचित दूरी बनाई जाएगी, ताकि भीड़ जैसी स्थिित न बने। गौरतलब है कि शहर में इस बार करीब 1500 दुर्गा प्रतिमाओं स्थापित की गई हैं।

नाव से प्रतिमा विसर्जन प्रतिबंधित... शहर में सबसे ज्यादा प्रतिमाएं प्रेमपुरा घाट पर ही जाती हैं

झांकियां भी पुरस्कृत नहीं होंगी
हर साल पुराने शहर में नादरा बस स्टैंड से चल समारोह निकाला जाता था। इसमें डीजे, बैंड-बाजे, चलित झांकियां निकलती हैं। इस बार यह सबकुछ नहीं होगा। इस बार झांकियां भी पुरस्कृत नहीं होंगी।

समय भी पूछा जा रहा है..
जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक समितियों से जानकारी ली जा रही है कि वे किस समय विसर्जन के लिए पहुंचेंगे। अगर झांकिया एक साथ भी पहुंचती हैं तो उन्हें दूर-दूर कर रोक दिया जाएगा।

क्रेन से ही विसर्जन, 7 घाटों पर 13 क्रेन
दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन क्रेन से ही होगा। प्रेमपुरा घाट पर 4, रानी कमलापति घाट, बैरागढ़ और हथाईखेड़ा में 2-2 और खटलापुरा, ईटखेड़ी और कोजलुआकलां में 1-1 क्रेन रहेगी।

इस बार चल समारोह नहीं निकलेगा, प्रशासन की क्या व्यवस्था रहेगी ?
चल समारोह की अनुमति नहीं है। प्रतिमाएं सीधे विसर्जन घाट पर जाएंगी।

ज्यादा लोग आए तो क्या करेंगे ?
अतिरिक्त लोगों को घाटों के बाहर बैरिकेड्स पर ही रोक दिया जाएगा। यहां पुलिस बल भी तैनात रहेगा

कितने कर्मचारी तैनात रहेंगे?
5000 से ज्यादा कर्मचारी रहेंगे। पुलिस, होमगार्ड, एनडीआरएफ, निगम आदि के कर्मचारी व्यवस्था संभालेंगे।



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पॉलिटेक्निक चौराहा... भले ही संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ हो, लेकिन जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है। एक बार फिर झीलों की नगरी ने उत्साह की चादर ओढ़ी है।


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