डंग को भाजपा संगठन का फायदा, अधूरी कर्जमाफी का नुकसान; फसल बर्बादी का मुआवजा और कर्जमाफी जनता के मुद्दे
(कपिल भटनागर) दो लाख से ज्यादा मतदाताओं वाली सुवासरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पिछला चुनाव जीते हरदीप सिंह डंग अब भाजपा से भाग्य आजमा रहे हैं। डंग के लिए भाजपा नई पार्टी नहीं कही जा सकती। यहां उनके कई पुराने फोटो भी सोशल मीडिया पर चले, जिसमें वे भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आते रहे हैं। बाद में कांग्रेसी होकर विधायक तक पहुंचे।
दलबदल, कर्जमाफी रुकने के जिम्मेदार और पुरानी पार्टी को धोखा देने जैसे आरोपों के बीच उनके लिए भाजपा का गढ़ फायदेमंद हो सकता है। कार्यक्रमों और सीएम की सभा के जरिये वे किसानों को फिर फायदा दिलाने का वादा कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस डंग को लगातार घेर रही है। लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने यहां से राकेश पाटीदार को प्रत्याशी घोषित किया है। यहां कांग्रेस ने कम्यूटर बाबा और पूर्व मंत्रियों को उतारा है, जबकि भाजपा सीएम से लेकर मंत्री और पूर्व मंत्री तक को झोंक चुकी है।
जातिगत समीकरण
- पाेरवाल समाज- 25 हजार
- सौंधिया राजपूत- 20 हजार
- पाटीदार समाज- 17 हजार
भाजपा के लिए नया चेहरा
भाजपा ने यहां की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जगदीश देवड़ा को सौंपी है। डंग का पार्टी में विरोध नहीं है, क्योंकि भाजपा के कई लोग नया चेहरा चाहते थे। 2013 में उज्जैन संभाग में कांग्रेस ने जो एक मात्र सुवासरा सीट जीती थी, वह डंग ने जिताकर दी थी।
पाटीदार का पहला चुनाव
कांग्रेस प्रत्याशी पाटीदार ने इससे पहले कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन छात्र राजनीति में सक्रिय रहने की वजह से युवा वर्ग उनसे जुड़ा हुआ है। किसान आंदोलन में भी सक्रियता रही। इसके अलावा पाटीदार समाज की इस इलाके में अच्छी खासी तादाद है।
जनता के मुद्दे... फसल बर्बादी का मुआवजा और कर्जमाफी
विकास, रोजगार, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाएं… इन मुद्दों का इस सीट से दूर-दूर तक लेना-देना नजर नहीं आता। यहां पार्टी स्तर पर जीत-हार का गणित तय होता है। जिस प्रत्याशी ने समाज बहुल को अपने पक्ष में कर लिया, जीत उसी की तय हो जाती है। बाकी जो बचा, वो है किसानों से जुड़ा मुद्दा। यही बड़ा असर दिखाता है।
श्यामगढ़ गांव में गोपीलाल और सत्यनारायण का कहना था, हमारा कर्ज माफ होने लगा था। डंग के जाने के कारण वो रुक गया। अब हम डिफाल्टर हो गए हैं। फसल बीमा में 600 रुपए तक प्रीमियम भरा, अब मुआवजे में 10-20 रुपए दे रहे हैं। बंजारों के गांव तगावली में मानसिंह, जयसिंह का कहना है कि पिछले चुनाव में हमने डंग को यहां आने नहीं दिया। अब स्वागत करेंगे।
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