कोरोना के कारण साल में दूसरी नगर पूजा आज

विपदाएं नगर से दूर रहें, इसलिए शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर शहर की देवी शक्तियों को प्रसन्न किया जाएगा। सरकारी अमला और भक्त 40 देवी व अन्य मंदिरों पर पदयात्रा कर जुलूस के रूप में जाएंगे। देवी, हनुमान और भैरव का पूजन आरती करेंगे। नगर पूजा चल समारोह सुबह 8 बजे चौबीस खंभा द्वार पर विराजित महालया और महामाया के पूजन के बाद शुरू होगा। शासन के प्रतिनिधि कलेक्टर देवियों को मदिरा की धार और भोग अर्पित कर जुलूस की शुरुआत करेंगे।

यह परंपरा सम्राट विक्रमादित्य से जुड़ी है। मान्यता है कि विक्रमादित्य ने नगर को विपदाओं से बचाने के लिए देवी शक्तियों को उनका मनपसंद भोग, शृंगार देकर प्रसन्न किया था। तभी से हर साल शासन की ओर से सरकारी अमल प्राचीन देवी, हनुमान और भैरव मंदिरों पर पूजन-आरती कर रहा है। शुक्रवार रात चौबीस खंभा द्वार के पास नगर-पूजा की तैयारियां शुरू हो गई। मार्ग पर बिखेरी जाने वाली बलबाकल, मंदिरों में लगने वाले भोग बनाने में कर्मचारी जुटे। मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली सौभाग्य सामग्री, पूजन सामग्री आदि के पैकेट भी तैयार किए गए।

सिंहस्थ में ही होती है दो बार
नगर पूजा यात्रा से 34 साल से जुड़े तोलाराम पटेल बताते हैं इस साल कोरोना के कारण दूसरी बार सरकार नगर पूजा करा रही है। जून में भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पूजा कराई थी। एक साल में दो बार नगर पूजा का मौका केवल सिंहस्थ के साल में आता है। सिंहस्थ के पहले शासन नगर पूजा कराता है ताकि आयोजन निर्वघ्न हो। शनिवार सुबह 8 बजे नगर पूजा बैनर, ध्वज, 5 ढोल और चौकीदारों, पटवारियों व भक्तों का जुलूस शुरू होगा। पूरे रास्ते पर मदिरा की धार बहाई जाएगी व उबले अनाज बिखेरेंगे।



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