माता रतनगढ़ का मेला कागजों में स्थगित, प्रशासन का दावा- उसी मेले में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

दीपावली की भाई दौज को लगने वाला माता रतनगढ़ का वार्षिक मेला प्रशासन के कागजों में कोरोना के कारण स्थगित है। लेकिन लोगों की श्रद्धा कोरोना के साथ मौसम पर भी भारी रही। बगैर कोरोना के डर व रविवार की रात बारिश के बाद भी प्रशासन का दावा है कि मेले में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने माता रतनगढ़ के दर्शन लाभ लिए। एडीशनल एसपी कमल मौर्य 30 लाख का दावा करते हैं। सर्पदंश से पीड़ित लोगों के पहुंचने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एएसपी मौर्य स्वयं कुअंर बाबा के मंदिर पर झाड़ उठाना पड़ा। उन्होंने भी सर्पदंश पीड़ितों को झाड़ा। झाड़ते वक्त दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान वह माता की महिला को लेकर सिर्फ इतना ही कह सके कि ऐसा स्थान पूरे भारत वर्ष में कहीं नहीं है।

मालूम हो कि प्रशासन 1 माह पहले से घोषणा कर चुका था कि इस बार रतनगढ़ पर भाई दौज पर लगने वाला मेला नहीं लगेगा। एनवक्त तक प्रशासन मेला नहीं लगने की बात करता है। लेकिन साथ में मेले की तैयारियां भी। मेला न लगने के प्रचार प्रसार से प्रशासन को लग रहा था कि भीड़ कम आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रशासन ही दावा कर रहा है कि मेले में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिए।

4 किमी लंबा जाम लगा, लोग फंसे रहे
मेला स्थगित का प्रचार प्रसार कर प्रशासन को अंदाजा था कि सिर्फ बंध कटाने वाले लोग आएंगे। अधिक भीड़ नहीं आएगी। बावजूद इसके भीड़ पहुंची। प्रशासन ने पहाड़ी की ओर जाने वाले हर रास्ते पर वाहनों को रोका ताकि मंदिर पर भीड़ कंट्रोल में रहे। इंदरगढ़, सेंवढ़ा, थरेट आदि स्थानों पर वाहनों को घंटों रोक कर जाने दिया जा रहा था। बावजूद इसके भगुवापुरा से मरसेनी के बीच 4 किमी लंबा जाम लग गया। लोग तीन से 4 घंटे जाम में फंसे रहे। इसका कारण यह रहा कि प्रशासन ने पार्किंग स्थलों पर गौर नहीं किया। पूरा प्रशासन सिर्फ मंदिर पर भी व्यवस्थाएं लगाने में लगा रहा। सेंवढ़ा की ओर से भगुवापुरा पर वाहनों को रोका गया। श्रद्धालु यहां से ही पैदल मंदिर की ओर चल दिए।

सभी धर्म के लोग पहुंचते हैं मेले में
माता के दरबार में जाति, धर्म का भेद नहीं है। सर्व धर्म समभाव का महत्व हैं। कहा भी जाता है कि जब जान पर आती है तो धर्म याद नहीं रहता। जालौन निवासी निशा खातून भी यही मानती है। निशा के पति शाहरुख खा बताते है कि 8 माह पहले उनकी बीबी को जहरीले सांप ने काट लिया था। उन्होंने माता के नाम का बंध बीबी को बांधा। बीबी तत्काल ठीक हो गई। आज वह परंपरानुसार बंध कटाने के लिए आए है। गाजियाबाद से आए परवीर सिंह के बेटे तनवीर के साथ भी यही हुआ। तनवीर मरते मरते बचा। माता के बंध से उसकी जान बची। आज वह भी गाजियाबाद से बंध कटाने के लिए पहुंचे थे।

मेला लाइव... पीड़ितों को नीम के झोंरा से झारा लगाते
दोपहर 2 बजे। स्थान कुंअर बाबा का मंदिर। एक के बाद एक सर्प दंश से पीड़ित बेहोशी की हालत में लोग पहुंच रहे है। एएसपी मौर्य अपने हाथ में मोर पंख के साथ नीम का झोंरा लेकर सर्पदंश से पीड़ित मरीजों को झाड़ते हुए आगे बढ़ा रहे है। मौके पर मौजूद एसडीएम अनुराग निंगवाल बोले रात में मैने भी पीड़ितों को झाड़ा। उप्र के राठ से आई आरती राजपूत बेहोश थी। जैसे की एएसपी ने उसे झाड़ा व परिक्रमा मार्ग में ही पैदल चलने लगी।

कुछ देर में कलेक्टर संजय कुमार व एसपी अमन सिंह राठौड़ भी पहुंच गए। कलेक्टर से जब भीड़ को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि लगभग 15 लाख लोग दर्शन कर चुके है। मेला स्थगन की सूचना पर वह बोले यह मेला नहीं है। मेला निश्चित परिसर में लगता है। यह तो विध्यांचल पर्वत पर दर्शनार्थियों का सैलाब है। मैं माता के चमत्कार के आगे नतमस्तक हूं। एसपी राठौड़ बोले मेला शांति पूर्ण तरीके से माता के चमत्कार से ही संपन्न हो रहा है।



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लख्खी मेला में लाखों श्रद्धालु


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