हमारे कैंपस से हटाओ यूनिवर्सिटी, खाली करो फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की बिल्डिंग!

अगर आपसे पूछा जाए कि एग्जाम देने का क्राइटेरिया स्टूडेंट की नॉलेज होनी चाहिए या उसकी प्रैक्टिकल बुक क्वालिटी, तो जाहिर सी बात है जवाब नॉलेज होगा। होना भी चाहिए।

प्रैक्टिकल बुक किस क्वालिटी या पब्लिशर की है यह मायने नहीं रखता, स्टूडेंट ने प्रैक्टिकल लिखे हैं अथवा नहीं यह महत्वपूर्ण है। यही आधार एग्जाम में बैठने का क्राइटेरिया भी होना चाहिए, लेकिन मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एमबीबीएस स्टूडेंट्स के लिए एक नया फरमान जारी कर दिया है, जिसमें एक तय पब्लिशर की प्रैक्टिकल बुक खरीदने ही कहा गया है।

जानकारों के अनुसार मेडिकल यूनिवर्सिटी जिस भवन में चल रही है, वह इस शर्त पर दिया गया था कि यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के हित में काम करेगी और किसी तरह का प्रॉफिट नहीं कमाएगी। यूनिवर्सिटी को नए फरमान के बाद रॉयल्टी मिलेगी, जो शर्त के मुताबिक नहीं है। इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट द्वारा यूनिवर्सिटी को पत्र भी लिखा गया है।

फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की बिल्डिंग में चल रही एमयू

मेडिकल यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की बिल्डिंग में चल रही है। इस संबंध में डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने डीन के माध्यम से यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि किसी स्टूडेंट को एग्जाम में न बैठने देने का ऐसा भी कोई क्राइटेरिया हो सकता है क्या, जिसमें उसे तय पब्लिशर से ही प्रैक्टिकल बुक खरीदनी हो?

खाली करना होगा भवन!

डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि 2011 में डिपार्टमेंट द्वारा यूनिवर्सिटी को भवन इसी शर्त पर दिया गया था कि यूनिवर्सिटी नॉन प्रॉफिटेबल तरीके से काम करेगी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो यूनिवर्सिटी से भवन खाली कराया जा सकता है।

एकेडमिक डिपार्टमेंट से इस बारे में जानकारी लूँगा। प्रैक्टिकल बुक के लिए पब्लिशर तय करने का ऑर्डर मेरे कार्यकाल से पहले का है। मुझे टेंडर की जानकारी नहीं है। मैं देखता हूँ।

-डॉ. टीएन दुबे, कुलपति, मेडिकल यूनिवर्सिटी



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मेडिकल कॉलेज ने दिखाई सख्ती


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