लॉकडाउन से मां-बाप बेरोजगार हुए तो भाई-बहनों ने बनवाई ईंटें ताकि बन सके आशियाना

उमर के मजरा दर्जन पाड़ानिवासी चार भाई-बहनों ने लॉकडाउन में अपना घर बनाने के लिए 28 दिन में 22 हजार ईंटें बनाई। भाई-बहन पढ़ते हैं और माता-पिता से इस मर्तबा मजदूरी कर मकान निर्माण का वादा किया था, लेकिन लॉकडाउन में मजदूरी नहीं मिली तो उन्होंने ईंटेंबना डाली।

12वीं तक पढ़े प्रेमचंद दामा और आठवीं पास सूरज बाला दामा की बेटियां छाया (बीएससी प्रथम वर्ष), वर्षा (10वीं), अमीषा (10वीं) और बेटा विकास (बीए प्रथम वर्ष) में है। वे पक्का मकान बनाने की जिद्द तीन साल से कर रहे हैं। प्रेमचंद की साढ़े चार बीघा जमीन से आमदनी इतनी नहींहोती कि घर खर्च व बच्चों की परवरिश के अलावा बचत कर पाए। चारों भाई-बहनों ने दीपावली पर माता-पिता से वादा किया था कि इस साल छुटि्टयों में मकान बनाने के लिए शहर जाकर मजदूरी करेंगे और 50 हजार रुपए लाकर देंगे। जिससे पक्का बनवाएंगे।
कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल-कॉलेज से लगाकर सभी काम धंधे ठप हो गए। प्रेमचंद ने बताया पीएम आवास योजना के लिए पंचायत में साल भर पहले आवेदन किया था, लेकिन राशि स्वीकृत नहीं हुई।

शिक्षक से प्रेरणा लेकर बना डाली ईंटें
बचपन से शिक्षक मुकेश राठौर से पढ़ाई में सलाह लेने वाले चारों भाई-बहनों ने मकान की समस्या उन्हें बताई। तय किया कि मजदूरी के बजाय घर पर ईंटें बनाई जाए। ईंट भट्टों पर काम करने वाले गांव के परिचितों से ईंट बनाने की तकनीक सीखी और खेत से निकले 17 क्विंटल गेंहूं में से कुछ गेंहूं बेचकर ट्रैक्टर से मिट्टी मंगवाई। रोज 7 से 8 घंटे मेहनत कर 28 दिन में मकान के लिए 22 हजार ईंटें बनाकर भट्टा तैयार किया।



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चारों भाई-बहन ईंटें बनाकर भट्टे को अंतिम रूप देते हुए।


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