सरकारी स्कूलों के 2.22 लाख छात्रों में से सिर्फ 70 हजार पर एंड्रॉइड मोबाइल

कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिलेभर में 2 हजार 544 प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल बंद हैं। इनमें दर्ज 2 लाख 22 हजार छात्रों की पढ़ाई न पिछड़े इसके लिए राज्य शासन ने डिजिएप मोबाइल एप के जरिए बच्चों को सिलेबर्स पूरा कराने का निर्णय लिया है। लेकिन हकीकत यह है कि जिले के 70 हजार 608 छात्रों के पास ही एंड्रॉयड मोबाइल फोन हैं। शेष 1 लाख 52 हजार से अधिक छात्रों या उनके अभिभावकों के पास या तो मोबाइल फोन नहीं है अथवा वे एंड्रॉयड फोन का उपयोग नहीं करते। हालांकि सरकारी सिस्टम का दावा हे कि ऐसे छात्रों को पंचायत भवनों में एलईडी टीवी व रेडियो के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है। लेकिन जिले की 500 से अधिक पंचायतों में से 30 प्रतिशत पंचायतों में एलईडी टीवी नहीं हे या वहां बिजली कनेक्शन नहीं है। ऐसे में बच्चों के सामने पढ़ाई का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

नियम: जिन पर मोबाइल नहीं, वे रेडियो-टीवी से करें पढ़ाई
जिले के 70 हजार 608 मोबाइल धारक छात्रों को छोड़ दिया जाए तो शेष छात्रों के लिए टीवी पर दूरदर्शन व रेडियो के माध्यम से प्रसारित होने वाले सिलेबस से पढ़ाई करनी है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार प्राइमरी-मिडिल के 1144 व हासे-हाईस्कूल के 5124 छात्रों के पास मोबाइल फोन, टीवी व अन्य माध्यम भी नहीं हैं। लेकिन ऐसे छात्रों की संख्या 1 लाख से अधिक हैं। जिन छात्रों के घर रेडियो-टीवी की सुविधा है, उनके गांवों में बिजली ही नहीं पहुंचती। ऐसे में इन छात्रों के सामने सबसे गंभीर संकट है।
आगे क्या: पंचायत भवनो में टीवी पर कराना है प्रसारण, हकीकत...150 से से अधिक पंचायतों में न एलईडी है न टीबी: जिन छात्रों के घर टीवी-रेडिया की सुविधा भी नहीं है, ऐसे छात्रों को पढ़ाने के लिए उन पंचायतों में एलईडी टीवी के जरिए दूरदर्शन का प्रसारण दिखाकर पढ़ाई करानी है। लेकिन जिले में 550 से अधिक पंचायतें हैं। लेकिन इनमें से 30 प्रतिशत पंचायतों में या तो एलईडी टीवी है नहीं या सरपंच-सचिव अपने घर ले गए अथवा इन पंचायत भवनों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है।

पहाड़गढ़ क्षेत्र के इन गांवों में नेटवर्क ही नहीं आता
कन्हार, पालि-झिनिया, बहराई, बघेवर, निरार, गुलापुरा, अमरई, धोबिनी, देवरा।
छात्रों तक मैन्युअल भी पहुंचा रहे हैं स्टडी मटेरियल
9वीं से 12वीं तक के 32 हजार से अधिक छात्रों को ऑनलाइन स्टडी कराने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सिलेबस भेजा जा रहा है। जिनके पास एंड्रॉयड मोबाइल, रेडियो-टीवी नहीं है, उन छात्रों को हम अपने शिक्षकों के माध्यम से भोपाल से भेजे गए स्टडी मटेरियल को फोटो कॉपी करके पहुंचा रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई न पिछड़े।
सुभाषचंद्र शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी मुरैना



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