नगर निगम की आपत्ति के बाद भी अनुमति दे रहे आर्किटेक्ट, एक साल में दे दीं 3500 परमिशन
प्राइवेट आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स ऑनलाइन फीस जमा करने के बाद ऑफलाइन परमिशन जारी करते हैं। उन्हें एक माह में फाइल जमा कराना चाहिए, लेकिन कई मामलों में छह महीने या उसके बाद भी फाइल जमा नहीं होती। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं जिसमें निगम ने आपत्ति ली और बाद में प्राइवेट आर्किटेक्ट ने परमिशन जारी कर दी। इस तरह से शहर में अवैध निर्माण बढ़ रहा है।
यह बात सोमवार को नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी कोलसानी से बिल्डिंग परमिशन शाखा के इंजीनियरों ने कही। निगमायुक्त ने कहा कि प्राइवेट आर्किटेक्ट को बिल्डिंग परमिशन शाखा के ऑनलाइन साॅफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा। इंजीनियरों ने बताया कि एक साल में प्राइवेट आर्किटेक्ट ने शहर में 3500 बिल्डिंग परमिशन दीं जबकि बिल्डिंग परमिशन शाखा ने केवल 650 परमिशन जारी की हैं।
- आर्किटेक्ट व इंजीनियर्स की फीस तय नहीं है। हालांकि 2016 में एसोसिएशन ने अपने स्तर पर अधिकतम 10 हजार रुपए फीस तय करने की घोषणा की थी।
- आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स की बिल्डिंग परमिशन के वैरिफिकेशन को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है।
ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में भी परमिशन दे रहे आर्किटेक्ट
प्राइवेट आर्किटेक्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में भी इंडिविजुअल परमिशन दे रहे हैं, जबकि रेरा इस पर आपत्ति जता चुका है। रेरा ने नगर निगम को पत्र लिखा है कि ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट की बिल्डिंग परमिशन एक साथ जारी होना चाहिए।
बिल्डिंग परमिशन के नए साॅफ्टवेयर में भी दिक्कतें
बिल्डिंग परमिशन जारी करने के नए साॅफ्टवेयर में भी दिक्कतें हैं। यदि किसी फाइल पर किसी लेवल पर आपत्ति लगती है तो वह आपत्ति दूर होने के बाद वह फाइल वापस अपने लेवल पर नहीं पहुंचती बल्कि नए सिरे से क्यू शुरू हो जाती है।
व्यवस्था में पारदर्शिता के हम भी पक्षधर
हम भी व्यवस्था में पारदर्शिता के पक्षधर हैं। नियमों का पालन करके ही बिल्डिंग परमिशन जारी की जाना चाहिए। यदि हमें निगम की ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाता है, तो यह एक बेहतर कदम होगा।
- राजेश चौरसिया, उपाध्यक्ष, सिविल इंजीनियर्स एसोसिएशन मप्र
शक्ति आदेश में बदलाव होगा, सावलकर ही रहेंगे सीसीपी
निगमायुक्त कोलसानी ने इंजीनियरों से कहा कि आपके बॉस सीसीपी विजय सावलकर ही रहेंगे। एक- दो दिन में शक्ति आदेश में बदलाव हो जाएगा। हम सब साथ मिलकर काम करेंगे किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। निगमायुक्त सोमवार को बिल्डिंग परमिशन शाखा पहुंचे और चीफ सिटी प्लानर व इंजीनियरों से करीब दो घंटे तक यहां के कामकाज को समझा। इंजीनियरों ने बताया कि नगर निगम में छोटे प्लाट की परमिशन की फाइल भी सीसीपी से मंजूर होती है। शाम को अपर आयुक्त हरेंद्र नारायण सिंह ने भी बिल्डिंग परमिशन शाखा के इंजीनियरों की दो घंटे तक बैठक ली और कामकाज को समझा।
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