इस बार जीएसीसी और होलकर कॉलेज में घटेगा कटऑफ

कॉलेजों में ऑनलाइन और ऑफलाइन एडमिशन की प्रक्रिया इस बार तीन माह लेट यानी अगस्त अंत तक या सितंबर में शुरू होने की संभावना है। ऐसे में शिक्षाविदों का अनुमान है कि इस बार कोरोना संकट के कारण एडमिशन को लेकर होने वाली प्रतिस्पर्धा घटेगी। कटऑफ नीचे गिरेगा। ऐसा बाहरी छात्रों की संख्या घटने से होगा। सरकारी कॉलेजों में जो कटऑफ अभी तक आ रहा था, वह 3 से 9 प्रतिशत तक गिरेगा। सबसे ज्यादा असर प्रोफेशनल कोर्स पर पड़ेगा। हालांकि यह बेहद अहम है कि ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया में इस बार ज्यादातर छात्रों को पसंद का कॉलेज अलॉट होने की संभावना बढ़ गई है।

होलकर में 93 प्रतिशत था कटऑफ
अभी तक होलकर साइंस कॉलेज में सबसे ज्यादा कटऑफ होता था। पिछले साल यहां बीएससी पीसीएम में सबसे ज़्यादा 93% कट ऑफ रहा। जबकि जीएसीसी यानी गवर्नमेंट अटल बिहारी वाजपेयी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में बीए का कट ऑफ 78% तक पहुंच गया था। वहीं गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में एलएलबी का 73 प्रतिशत और बीए एलएलबी का 74 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इस बार ये 3 से 9 प्रतिशत तक घटेगा। रिटायर्ड प्राचार्य डॉ. एसएल गर्ग का कहना है कि कट ऑफ भी घटेगा और छात्र भी घटेंगे। बाहरी छात्रों की संख्या 30% तक घटेगी।
बीएड और एमबीए में नहीं मिलता था पसंद का कॉलेज- अब तक एमबीए में सिमेट या ग्रेजुएशन के अंकों के आधार पर प्रवेश होते आए हैं। लेकिन हमेशा टफ प्रतिस्पर्धा के चलते 70% छात्रों को पसंद का कॉलेज नहीं मिलता था। इस बार ज्यादातर छात्रों को आसानी से कॉलेज मिल सकेगा। यही स्थिति बीएड में भी रहेगी।

बाहरी छात्रों के जाने का असर निजी कॉलेजों व यूनिवर्सिटी पर
इधर, निजी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का भविष्य भी गुणवत्ता पर टिका है। शिक्षाविद् डॉ. रमेश मंगल कहते हैं जो कॉलेज निजी यूनिवर्सिटी बेहतर माहौल और सुविधाएं देंगे, वही इस बार टिक पाएंगे, क्योंकि बाहरी छात्रों की संख्या घटने का सबसे ज्यादा असर इन्हीं पर पड़ेगा। पूर्व कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ का कहना है कि इस बार स्थानीय छात्रों को बाहर जाने से रोकना होगा। यह चुनौती गुणवत्ता से ही पूरी होगी।
पिछले साल हुए थे 1 लाख से ज्यादा नए एडमिशन- पिछले साल परंपरागत यूजी कोर्स में 85 हजार 200 एडमिशन हुए थे, जबकि परंपरागत पीजी कोर्स में 12 हजार और एमबीए में 7700 एडमिशन हुए थे। इसके अलावा बीबीए, बीसीए और बीए एलएलबी जैसे कोर्स में 23 हजार नए एडमिशन हुए थे। बीएड में 2900 और एलएलएम तथा कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्सेस में 1300 एडमिशन हुए थे। जबकि 9 निजी यूनिवर्सिटी में 14 हजार 700 एडमिशन हुए।



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