कोरोना में ड्यूटी देने वाले डॉक्टरों को होटल वालों ने थमाए हजारों के बिल

(अभिषेक शर्मा)कोरोना संदिग्ध और संक्रमित मरीजों को तलाश करने से लेकर उनके इलाज के लिए जान जोखिम में डालकर अपना फर्ज निभाने वाले डॉक्टर अब उन्हें मिलने वाले लंबे-चाैड़े बिलाें से परेशान हैं। प्रशासन के आदेश पर ये डाॅक्टर ड्यूटी के दाैरान जिन हाेटलाें में क्वारेंटाइन रहे, उनके प्रबंधन ने पानी, नाश्ता और खाने के एवज में उन्हें 13 हजार से 22 हजार रुपए तक के बिल थमा दिए हैं। दैनिक भास्कर के पास उपलब्ध कुछ बिल में डॉक्टरों को ब्रेकफास्ट में चाय-पोहा का रेट 140 रुपए, लंच में दी जाने वाली दाल-रोटी का रेट 400 रुपए और डिनर का रेट 600 से 1200 रुपए तक लगाया गया है।

इसी तरह मिनरल वाटर के 50 से 225 रुपए तक मांगे गए हैं। होटल प्रबंधन डाॅक्टराें से पूरा पैसा चुकाने का दबाव बना रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि वे जिला प्रशासन के निर्देश पर ड्यूटी के बाद इन होटलों में क्वारेंटाइन पीरियड काटते थे, फिर बिल हमें क्या दिए गए? इस पैसे का भुगतान जिला प्रशासन काे करना चाहिए। उधर, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि सरकारी डाॅक्टराें के खाने का इंतजाम हमने किया था लेकिन निजी डाॅक्टराें काे खुद ही यह इंतजाम करना था।

क्वारेंटाइन किए गए 12 हजार लाेगाें के खाने पर 18 लाख रुपए खर्च
लाॅकडाउन पीरियड में शहर में 15 होटल लॉज और धर्मशालाओं में क्वॉरेंटाइन किए गए 12 हजार लाेगाें, सरकारी अधिकारी कर्मचारी व डॉक्टरों काे भोजन मुहैया कराने के लिए स्वास्थ्यविभाग ने 150 रुपए प्रति व्यक्ति के मान से करीब 18 लाख रुपए का खर्च बताया है।

छह हाेटलाें में ठहरे 240 डाॅक्टर, इनमें 25 निजी अस्पतालाें के, इन्हें ही ज्यादा बिल मिले
शहर के छह हाेटलाें काे प्रशासन ने डाॅक्टराें के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया था। इन हाेटलाें में 240 डॉक्टर ठहराए गए। इनमें से 25 डॉक्टर बिड़ला हॉस्पिटल, केडीजे हॉस्पिटल, लिंक हॉस्पिटल और वेदांश हॉस्पिटल जैसे प्राइवेट हॉस्पिटल के थे। इन सभी काे जाे बिल दिए गए हैं, वे करीब 3 लाख रुपए के हैं। जबकि शेष 215 सरकारी अस्पतालों के डॉक्टराें के लिए सीएमएचओ कार्यालय से भाेजन का इंतजाम किया गया था। इसका ठेका दिया गया था।

इनके लिए 1 दिन का तीन टाइम का भोजन 250 रुपए का पड़ा। इस तरह सरकारी डॉक्टरों के लिए सीएमएचओ कार्यालय भोजन के एवज में लगभग 54000 रुपए का भुगतान करेगा। लेकिन सीएमएचओ कार्यालय प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों का खाने का भुगतान न होटल को और न ही किसी ठेकेदार को करेगा।

डाॅक्टरों की पीड़ा

  • होटल प्रबंधन ने 22500 का बिल दिया:डॉ राघवेंद्र कुमार ने बताया किसीएमएचओ कार्यालय से सिर्फ सरकारी डॉक्टरों को खाना आता था। हमें होटल से ही लेना पड़ता था। मुझे ₹22500 का बिल दे दिया है। अधिकारियों ने कहा था कि हमें होटल में रुकने या भोजन का कोई पैसा नहीं देना।
  • मुझसे होटल में खाने का पैसा मांग रहे हैं:डॉ सौरभ सिंह कौरवने कहा, मुझसे भी होटल में खाना खाने का पैसा मांगा जा रहा है जबकि हम तो प्रशासन के कहने पर ड्यूटी के बाद यहां पर रुका करते थे। पहले पता होता कि हम को बिल दे दिया जाएगा तो हम अपने घर से ही खाना मंगा लेते।

डॉ. एसके वर्मा, सीएमएचओ ने कहा- होटलों द्वारा मनमाने बिल नहीं देने थे
सभी सरकारी डॉक्टर जो ड्यूटी के बाद होटलों में ठहराया गए थे उनका भोजन हम भिजवाते थे। प्राइवेट डॉक्टर अपना इंतजाम खुद करते थे। प्राइवेट डॉक्टरों को मनमाने बिल होटलों द्वारा नहीं देने चाहिए।



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