कभी भी ढह सकते हैं घमापुर थाने के आवास

एक तरफ जहाँ पुलिस लाइन में नये आवास बन रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ घमापुर थाने के पीछे बने पुरानों आवासोंकी मरम्मत नहीं होने से करीब तीन दर्जन आवास गिरने की हालत में पहुँच गए हैं। बरसात के इस मौसम में कभी भी यहाँ हादसा हो सकता है। यहाँ रहने वाले पुलिस कर्मियों में दहशत की स्थिति निर्मित हो गई। जर्जर आवासों की हालत यह है कि जरा सी बारिश होते ही छतों से पानी टपकने लगता है। दीवार एवं फर्श पर गड्ढे हो गए हैं। यहाँ रहने वाले पुलिस कर्मियों का कहना है कि हर बार जब भी नये आवास आवंटित होते हैं उनको सूची से बाहर कर दिया जाता है और उनसे जूनियर लोगों को नये आवास दे दिये जाते हैं। इसमें रुपयों के देन-देन के भी आरोप लगते रहे हैं। इसके बाद भी घमापुर थाना क्षेत्र के जर्जर आवासोंमें रहने वाले पुलिस कर्मियों को नये आवासों के आवंटन में तरजीह नहीं दी गई।
अधिकारी भी ध्यान नहीं देते| पुलिस कर्मियों का आरोप है कि पुलिस अधिकारी भी आवासों की जर्जर हालत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि आईजी, डीआईजी एवं एसपी स्तरों के अधिकारी यहीं पर पदस्थ हैं लेकिन उन्होंने खुद जाकर कभी कर्मचारियों के परिवारजनों से मिलकर यह नहीं देखा कि वे किस हाल में रह रहे हैं। पुलिस कर्मी तो ड्यूटी पर चले जाते हैं लेकिन उनके बच्चे एवं पत्नियाँ इस दहशत में रहती हैं कि उन पर छत या दीवार न गिर जाये।
कई बार लगा चुके हैं गुहार| पुलिस कर्मियों का कहना है कि जिन आवासों में वे रह रहे हैं उनकी मियाद कब की पूरी हो चुकी है। इन आवासों की जगह नये आवास बनने चाहिए। इस बात की गुहार वे कई बार लगा चुके हैं। इसके पहले यहाँ रहने वाले कर्मचारियों को नये आवासों में शिफ्ट करना चाहिए।पी-2
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