जिंदगी चलानी है तो यात्रा का जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा

जिंदगी चलानी है, परिवार को पालना है तो ट्रेन में सफर करने का जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा.. मन तो नहीं है कि कोरोना के संक्रमण के बीच दिल्ली जाकर माल की खरीदी करुँ, लेकिन नहीं जाऊँगा तो व्यापार कैसे चलेगा.. यह कहना था अनिल कुमार का, जो व्यापारी हैं और माल की खरीदी करने के लिए गोंडवाना एक्सप्रेस से रविवार को दिल्ली जा रहे थे। उनके साथ दो और साथी व्यापारी भी थे, जिनके मन में दिल्ली में फैले कोरोना के संक्रमण का डर साफ दिखाई दे रहा था, लेकिन साथ ही चेहरे पर व्यापार को लेकर भी अनिश्चितता की चिंता नजर आ रही थी। रविवार को अनिल कुमार की तरह कई कारोबारी माल की खरीदी और बुकिंग के लिए गोंडवाना एक्सप्रेस से रवाना हुए। उनका कहना था कि अब कोरोना के साथ जिंदगी चलाने की आदत बनानी होगी, इसलिए व्यापार को चलाने के लिए एहतियात बरतते हुए दिल्ली जा रहे हैं, क्योंकि यहाँ बैठकर माल की खरीदी नहीं हो सकती।

कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो गया, इसलिए वापस लौट रहे| वहीं एक अन्य यात्री शिवकुमार ने बताया कि वो रेलवे के कॉन्ट्रेक्टर हैं, उनका काम पूरा हो गया है इसलिए अब अपने साथियों के साथ अपने घर दिल्ली वापस लौट रहे हैं। कोविड-19 की वजह से नए काम नहीं मिल रहे हैं।
एर्नाकुलम से श्रमिक ट्रेन से आए 200 यात्री| वहीं मुख्य रेलवे स्टेशन पर दोपहर को एर्नाकुलम से पटना जाने वाली श्रमिक एक्सप्रेस आई, जिसमें जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों के 200 यात्री उतरे, जिन्हें बसों से उनके गृहनगर रवाना किया गया। इन में डिंडोरी, मंडला, अनूपपुर आदि के यात्री शामिल थे।पी-4



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If life is going on then you will have to take the risk of traveling


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