धर्म का संबंध जाति व संप्रदाय से नहीं बल्कि आत्मा से है, जो इन सभी बंधन से ऊपर है - जैन संत प्रतीक सागरजी
धर्म का संबंध जाति व संप्रदाय से नहीं बल्कि आत्मा से है। आत्मा जाति और संप्रदाय के बंधनों से ऊपर है। धर्म वह है जो इंसान को इंसान से जोड़ता है, जो तोड़ता है वह संप्रदाय होता है। हम भाषा-जाति के नाम पर बहुत लड़ लिए, अब आवश्यकता है धर्म को जी कर एकता के साथ जीने की। एकता से हमारी सुरक्षा है और विघटन से हमारी परेशानियां बढ़ती हैं। जो समाज संगठित है, भविष्य उसी का है।
यह बात क्रांतिवीर मुनि प्रतीक सागरजी महाराज ने अभयपुर स्थित गुरुकुल में धर्म सभा में कही। सोमवारिया बाजार स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर से सुबह विहार करते हुए जैन मुनि वहां पहुंचे थे। मुनिश्री ने आगे कहा कि कोरोना के प्रति लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है। डरकर जंग नहीं जीती जाती। जागकर और लड़कर जंग जीती जाती है। वायरस रूपी संग्राम बहुत लंबा है, कब तक हम दूसरों के सहारे जीते रहेंगे। अब समय की मांग है, हम स्वयं के जीवन में परिवर्तन करें। भारतीय संस्कार और संस्कृति को जीएं। जो इस कोरोना वायरस की जंग लड़ने में हमारे लिए 24 घंटे तत्पर लगे हुए हैं, ऐसे सुरक्षाकर्मी, डॉक्टर्स, सफाई कर्मचारियों का सम्मान करें और उनका सहयोग करें। इन लोगों की साधना आज संत की साधना से कम नहीं है। क्योंकि यह नि:स्वार्थ भाव से आपके प्राणों को बचाने के लिए तत्पर खड़े हैं।
मुनिश्री ने कहा हमें सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता पर ध्यान देकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है तभी हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। नजर हटी दुर्घटना घटी यह मानकर चलें।
जैन मुनि से आशीर्वाद लेने पहुंचे कलेक्टर : शाजापुर से विहार करते हुए अभयपुर स्थित गुरुकुल पहुंचे मुनि प्रतीक सागरजी महाराज से आशीर्वाद लेने कलेक्टर दिनेश जैन भी गुरुवार को गुरुकुल पहुंचे। तहसीलदार सत्येंद्र बैरवा के साथ पहुंचे कलेक्टर जैन ने आशीर्वाद लिया। इस दौरान शहर के बसंत जैन, राजेश जैन, पंकज जैन, सवाईलाल जैन आदि उपस्थित थे।
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