बस व ऑटो के पहिए थमने से किस्त और टैक्स खर्च पड़ रहा भारी, यात्री भी परेशान

ढाई माह से अधिक समय से बसों व ऑटो के पहिए थमे हुए हैं। सरकार ने प्रदेश में आने-जाने की छूट तो दे दी है, लेकिन बसों का आवागमन नहीं होने व लोकल ट्रेनों के नहीं चलने से खाचरौद के लोगों को एक शहर से दूसरे शहर जाने-आने में मशक्कत करना पड़ रही है, क्योंकि हर व्यक्ति के पास दो या चार पहिया वाहन नहीं है। वहीं हर व्यक्ति रिजर्वेशन कराकर ट्रेन में सफर नहीं कर पाता है।
ट्रेन व बसों के पहिए थमने से इनका असर अन्य व्यापार पर भी हो रहा है। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर खड़े होने वाले 100 से अधिक ऑटो वालों की भी रोजी रोटी के लाले पड़े हुए हैं। बस स्टैंड पर खड़े रहकर व्यवसाय करने वाले लोगों को बसों का आवागमन बंद होने से उनका व्यापार बंद है। ऑटो वालों का कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद कई व्यापार-व्यवसाय चालू भी हो गए, लेकिन हमारी सुध किसी ने नहीं ली। इसकी वजह से हमारे परिवारों में आर्थिक संकट गहरा गया है। कोई भी आगे रहकर मदद के लिए नहीं आ रहा है। जल्द ही आवागमन चालू नहीं होता है तो ऑटो की किस्तें भी भरना भारी पड़ जाएगी। अभी तो फाइनेंसर किस्त के लिए ज्यादा दबाव नहीं डाल रहे हैं, लेकिन आगे वे नही रुकेंगे। बस संचालकों के भी यही हाल है, बस के पहिए रुके भी ढाई माह से अधिक हो गए हैं, लेकिन किस्त, टैक्स, क्लीनर-ड्राइवर आदि खर्च निरंतर चल रहा है, बावजूद उसके कमाई एक रुपया भी नहीं है।
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