महाकाल दर्शन की ऑनलाइन अनुमति को आधार बनाकर निकाल दी कावड़यात्रा

श्रावण में कावड़यात्राएं निकालने पर प्रतिबंध है लेकिन मंगलवार को समर्पण कावड़ यात्रा इस प्रतिबंध को तोड़ कर निकाली गई। आयोजनों ने महाकाल मंदिर समिति से ऑनलाइन दर्शन की अनुमति ली। इसके आधार पर यात्री मंदिर में दर्शन करने भी पहुंचे। कावड़यात्रा को कहीं पुलिस ने भी नहीं रोका। यात्रा में भाजपा के वरिष्ठ नेता मप्र पर्यटन निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भौमिक और मप्र फार्मेसी कौंसिल के अध्यक्ष ओम जैन भी शामिल थे।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी की गई गाइड लाइन में धार्मिक यात्राओं पर प्रतिबंध है। इस गाइड लाइन के आधार पर प्रशासन ने श्रावण में महाकालेश्वर आने वाली कावड़यात्राओं पर रोक लगाई है। इसके बावजूद मंगलवार को इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी से महाकाल मंदिर तक समर्पण कावड़ यात्रा निकाली गई। यात्रा में भाजपा नेता और मप्र पर्यटन निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भौमिक भी शामिल हुए। इसके अलावा मप्र फॉर्मेसी कौंसिल के अध्यक्ष ओम जैन सहित 16 लोग यात्रा में निकले। आयोजक भाजपा नेता राम भागवत कंधे पर एक कावड़ लिए थे। यात्रा इंदौर फोरलेन से होकर महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। यहां यात्रियों ने साथ लाया नर्मदा जल मंदिर समिति के कर्मचारियों को दे दिया। कावड़ भी बाहर रख दी। इसके बाद सामान्य कतार से वे मंदिर में गए तथा महाकालेश्वर के दर्शन किए। मंदिर में उन्होंने पुजारी प्रशांत गुरु के माध्यम से भगवान को जल भी अर्पित किया।
प्रशासक बोले- सामान्य दर्शनार्थी के रूप में आए थे, एएसपी ने कहा- कावड़ यात्रा नहीं निकली
इधर महाकाल मंदिर समिति के प्रशासन एसएस रावत का कहना है कि हमने सामान्य दर्शनार्थी के रूप में प्रवेश दिया। उनकी ऑनलाइन बुकिंग थी। न वे कावड़ लिए थे और न ही जलपात्र। दर्शन के लिए कोई भी ऑनलाइन प्री-परमिशन करा कर आ सकता है। किसी की ड्रेस पर पाबंदी नहीं है। एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी ने कहा कावड़ यात्रा नहीं निकाली। दस-पंद्रह लोग आए थे। अनुमति संबंधी मुझे जानकारी नहीं है।
उत्तम स्वामी आते हैं यात्रा में, इस बार नहीं आए
समर्पण कावड़ यात्रा आध्यात्मिक गुरु उत्तम स्वामी के नेतृत्व में निकाली जाती है। वे इस यात्रा में शामिल होते हैं। उनके साथ मालवांचल के 5 हजार से ज्यादा यात्री भी कावड़ लेकर आते हैं। इस बार वे यात्रा में शामिल नहीं हुए। यात्रियों ने बताया स्वामीजी हरिद्वार में होने से यात्रा में नहीं आ सके। अनुमति नहीं होने के बाद भी यात्रा निकाले जाने को लेकर भागवत ने कहा यह यात्रा का 12वां वर्ष था। कावड़ यात्रा की परंपरा न टूटे इसलिए प्रतीकात्मक यात्रा निकाली। सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। मास्क लगाया। मंदिर में कावड़ लेकर नहीं गए। जल भी मंदिर के कर्मचारी को सौंप दिया था। केवल मंदिर में दर्शन किए, जिसके लिए ऑनलाइन अनुमति ली गई थी। जैन ने कहा कि हमने प्रशासन को पहले अवगत करा दिया था कि प्रतिकात्मक यात्रा है और अनुमति लेकर ही मंदिर में केवल दर्शन करेंगे, यही किया।
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