बच्चों को सामने बैठाकर कहा- मेरे मरने के बाद मृत्युभोज कराया तो मेरी आत्मा तुम्हें माफ नहीं करेगी

मरने के बाद मृत्युभोज और कपड़े ओढ़ाने जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए भास्कर द्वारा चलाई जा रही मुहिम से प्रेरित होकर कृषि विभाग के अधिकारी ने अपने खुद के ही घर से अनूठी पहल शुरू कर दी। उन्होंने अपने बच्चों को सामने बैठाकर साफ कह दिया कि मेरे मरने के बाद यदि मृत्युभोज कराया तो मेरी आत्मा तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी। इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने पत्नी सहित बच्चों से संकल्प भी करवा लिया।
शाजापुर कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी डी.आर. मालवीय ने बताया कि हमें जो भी करना है, वह जीवित रहते हुए कर सकते हैं। मृत आदमी के निमित्त किया गया खर्च सामाजिक दिखावा होता है। इसका किसी को लाभ नहीं मिलता, उल्टा परिवार पर कर्ज होगा। इसी को ध्यान में रखकर कई साल से इस कुप्रथा को लेकर वे चिंतित थे, लेकिन यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे। विगत दिनों दैनिक भास्कर द्वारा शुरू की गई इस मुहिम से वे प्रेरित हो गए। इसके लिए उन्होंने पत्नी अनिता मालवीय, तीनों बेटे प्रतीक, नितिन और अभिषेक को संकल्प भी दिलवा दिया।
डी.आर. मालवीय ने इस कुप्रथा का विरोध करते हुए साफ कहा कि मृत्युभोज से किसी का लाभ नहीं हुआ, लेकिन इस पर खर्च किए जाने वाली राशि का उपयोग निर्धन बेटियों की शिक्षा पर किया जाए तो समाज में बदलाव जरूर आएगा। नितिन, प्रतीक और अभिषेक को संकल्प दिलाते हुए यह निर्णय लिया गया कि मृत्युभोज पर खर्च होने वाली राशि को सिर्फ समाज सुधार पर ही खर्च किया जाए।
मेहमानों को न बुलवाएं, कपड़ा प्रथा भी नहीं करवाएं
खुद की मृत्यु के बाद होने वाली प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की बात सुन पहले तो पत्नी अनिता और बच्चे भी अचरज में पड़ गए। बेड़े बेटे प्रतीक ने अपने पिता से बात करते हुए कहा कि कुप्रथा को रोकने की यह पहल समाज पर असर नहीं डालेगी, उल्टा समाज के लोग मजाक उड़ाएंगे। ऐसे में डी.आर. मालवीय ने सभी को समझाया कि कुप्रथा बंद करने के लिए पहल हमें ही करनी होगी। मेरे अंतिम कार्यक्रम में मेहमानों को नहीं बुलाया जाए और न ही कपड़ा प्रथा हो, यदि ऐसा किया तो मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।
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