वैज्ञानिकों का दावा- चार दिन और मौका, पौधों को हार्मोंस देकर फूल आने के लिए तैयार करें

शाजापुर व आगर जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाली संतरा फसल पर इस बार फिर संकट खड़ा हो गया हे। गर्मी में भीषण गर्मी और बारिश के सीजन में अच्छी बारिश नहीं होने से दोनों जिले की करीब 40 हजार हेक्टेयर में लगी संतरा फसल खराब हो गई। खेतों में खड़े पौधे फूलों से लदने के बजाए नई कोपलें निकलते हुए नई ताजी पत्तियां निकल आई। नतीजतन दोनों जिले के 8 हजार से ज्यादा किसानों को 60 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
शाजापुर व आगर जिले में मिलाकर 40 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में संतरा फसल है। फसल को इस बार अनुकूल मौसम नहीं मिल पाने से फूल लगने का सिस्टम गड़बड़ा गया। पौधों को इस बार गर्मी में लगातार 45 से 50 दिन की तान और तेज गर्मी नहीं मिल सकी। जून में पहली बारिश भी पौधों की आवश्यकतानुसार तेज नहीं हुई। इस कारण संतरे के पौधों में फूल ही नहीं आए। जुलाई के पहले सप्ताह से आने वाली फूल की प्रक्रिया पूरे माह चलती है, लेकिन इस बार 23 जुलाई तक 80 प्रतिशत से ज्यादा पौधों में फूल ही नहीं आए। इस कारण अब दिसंबर में आने वाली संतरा फसल इस साल नहीं आ सकेगी। इससे होने वाली बड़े नुकसान का अधिकारियों को भी अब तक अंदाजा नहीं है।
एक्सपर्ट व्यू: वार्षिक वृद्धि रोकना होगी, हार्मोंस देकर फूल लाएं
विपरीत मौसम से पौधों की प्रजनन वृद्धि होने के बजाए वार्षिक वृद्धि हो रही है। किसान वार्षिक वृद्धि को रोककर पौधों में प्रजनन वृद्धि करवा सकते हैं। इसके लिए क्लोरमैक्वाट क्लोराइड 50% एसएल एक से डेढ़ एमएल प्रतिलीटर में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करंे। पौधों की जड़ाें से कुछ मिट्टी हटाकर वहां पैक्लोबिट्राजोल प्रति पौधे के हिसाब से 9 से 18 ग्राम तक डालें। इससे पौधों को गर्मी मिलेगी और वार्षिक ग्रोथ रुक जाएगी और फूल आने की संभावना बढ़ेगी। इसके साथ ही पौधों को हार्मोंस दें। हालांकि इस ट्रीटमेंट के लिए अब सिर्फ एक सप्ताह का समय ही बचा है।
-डॉ. लालसिंह, वैज्ञानिक उद्यानिकी कृषि विज्ञान केंद्र राजगढ़
ऐसे समझें संतरा फसल में फूल व फल लगने का गणित
शाजापुर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाॅ. एसएस धाकड़ ने बताया कि शाजापुर व आगर जिले में गहरी काली मिट्टी होने से संतरे के पौधों को यहां दो माह की लंबी तान मिलना चाहिए। इसके बाद जून के पहले सप्ताह में बारिश के सीजन की शुरुआत अच्छी होना चाहिए। इस दौरान पहली बारिश कम से कम 2 इंच होना चाहिए। इस बार मौसम इसके विपरीत रहा। हालांकि अभी कुछ समय है यदि उपचार हो जाए तो शायद कुछ पौधों में फूल आना शुरू हो जाए।
न तान मिली, न ही अच्छी बारिश
इस साल पौधों को न तो पर्याप्त गर्मी यानी तान मिल सकी और न पहली बारिश अच्छी हुई। दोनों ही मौसम अनुकूल साबित नहीं हुए। इस कारण पौधों में इस बार फल नहीं आए।
5 साल से लगातार घाटा
विपरीत मौसम के कारण 5 साल से पौधों में फल नहीं लगे। सिर्फ पिछले साल 2019 में 25-30% पौधों में फूल-फल लगे। लेकिन इस फसल को बेचकर मुनाफा कमाने में लॉकडाउन ने अड़ंगा डाल दिया। बगीचों की सौदेबाजी होने के बाद भी वे फसल नहीं बेच सके।
फसल खराब होने से मार्केट पर असर पड़ेगा; 8 हजार से ज्यादा किसानों को 60 करोड़ रुपए का नुकसान
शाजापुर| शहर से 5 किमी दूर ग्राम भदौनी के शिवनारायण बरवा के खेत में 500 पौधों में से एक भी पौधे में अब तक फूल नहीं आए। (इनसेट) नई कोपलें निकलने के बाद फूल आने की उम्मीद भी खत्म।
संतरे की फसल का 30% रकबा घटा
शाजापुर जिले में 8 हजार किसान संतरे की फसल लेते हैं। पिछले 5 साल से बदले मौसम के कारण लगातार नुकसान होते देख 30% किसान यानी करीब 4 हजार किसानों ने अपने खेतों में खड़े संतरे के पौधे काट दिए हैं। ग्राम सुनेरा के 10-12 किसानों ने संतरे के पेड़ काट दिए। सबसे ज्यादा आगर जिले के कानड़, सुसनेर और आगर क्षेत्र के किसानों ने संतरे के पौधे नष्ट कर दिए।
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