बस ऑपरेटर्स मांग रहे लिखित आदेश, इसलिए बंद पड़ीं हैं बसें

शासन ने बुधवार से बसों का संचालन शुरू करने के आदेश दिए थे। लेकिन जिले में बसों के पहिए टस से मस तक नहीं हुए। बस ऑपरेटर्स का कहना है कि जब तक उन्हें कर माफी को लेकर लिखित आदेश नहीं मिलता वे बसों का संचालन नहीं करेंगे। शासन और बस ऑपरेटर्स के इस विवाद में एक बार फिर जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पिछले पांच माह से लोग कैसे बगैर बसों के आना-जाना कर रहे हैं। इसकी परवाह न तो शासन को हैं और न ही बस ऑपरेटर्स को।
यह है पूरा मामला: लॉकडाउन के दौरान तीन माह तक बसों का संचालन पूरी तरह बंद रहा है। इसके बाद जब शासन ने धीरे-धीरे बसों का संचालन शुरू करने के आदेश दिए तो बस अॉपरेटर्स तीन माह का टैक्स माफ करने की जिद पर अड़ गए। वहीं पड़ोसी राज्यों जैसे राजस्थान और छत्तीसगढ़ में टैक्स माफी होने के बाद इनकी मांगें और तेज हो गईं। जिसके बाद शासन कर वसूली की अंतिम तारीख एक माह और बढ़ा दी। लेकिन इसके बाद भी बस अॉपरेटर्स एसोसिएशन ने बसों के संचालन से इंकार कर दिया। ऐसे में शासन को कर माफी के लिए दो माह का समय लगा और अभी भी इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
मामले को लेकर जब आरटीओ प्रदीप शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि बस ऑपरेटर्स की मांगों पर शासन विचार कर रहा है। बुधवार से बसों का संचालन शुरू करने के आदेश थे, लेकिन बस ऑपरेटर्स का कहना है कि उन्हें जब तक लिखित आदेश नहीं मिलता तब तक वे संचालन शुरू नहीं करेंगे।बस ऑपरेटर एसोसिएशन के प्रदेश कोषाध्यक्ष अतुल दुबे का कहना है कि हमने शासन से टैक्स शून्य करने की मांग के अलावा किराया वृद्धि और शुरुआत में केवल 30 फीसदी बसों का संचालन करने की मांग की थी, लेकिन शासन अब तक हमें किसी भी मांग पर लिखित आदेश नहीं दिया है। ऐसे में जब तक मांगों की स्थिति स्पष्ट नहीं होती तब तक बसें शुरू नहीं होंगी।



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