इमाम हुसैन की याद में घरों में ही शरबत, लंगर बनाकर दोस्तों व रिश्तेदारों को भेजा
मोहर्रम की 10 तारीख रविवार को यौमेआशुरा के रूप में मनाई गई। शहर में लॉकडाउन के कारण किसी प्रकार की धार्मिक व सामाजिक गतिविधि नहीं दिखाई दी। मसजिदों में भी चंद लोगों ने नमाज अदा की ।
समाजजनों ने यौमे आशुरा का रोजा रखा और सभी घरों में रोजा इफ्तार के समय कोरोना वायरस से मुल्क और दुनिया की हिफाजत और जो बीमार अस्पतालों में भर्ती हैं उनकी तंदुरुस्ती की दुआएं की।
हजरत हुसैन की याद में लोगों ने अपने घरों में ही शरबत बनाकर और लंगर बनाकर अपने इष्ट मित्रों और रिश्तेदारों के घर भेजा । इस बार कोरोना के कारण ना सामूहिक रोजा इफ्तार हुआ और ना लंगर का आयोजन किया गया । हर साल की तरह इस साल भी ताजियों का निर्माण किया गया, जो सिर्फ इमामबाड़ों में ही रहे और किसी भी प्रकार का कारवां ताजियों का नहीं निकाला गया । ना बैंड पर मरसिया पढ़े गए और ना अखाड़ों पर करतब दिखाए गए। जिन लोगों की मन्नतें थी उन लोगों ने इमामबाड़ा पर पहुंच कर ही ताजियों के दर्शन किए। शेष सभी लोगों ने अपने घर पर रहकर ही इमाम हुसैन की याद में शहादत नामा पड़े और अकीदत के फूल पेश किए ।
चीफ काजी सैयद आसिफ अली ने बताया कोरोना के कारण ईद सहित सभी पर्व लॉकडाउन की भेंट चढ़ गए। अब अगले चार छह महीनों में कोई बड़ा पर्व नहीं है। समाजजनों ने स्वत: ही कोरोना को देखते हुए गाइडलाइन का पालन किया।
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