घर के पुराने सामान से संवारा गार्डन, तेल की कैन से बनाए गमले और फलों की गुठलियों से तैयार की नर्सरी

शहर में कुछ लोगों ने घरों से निकलने वाले कबाड़ को रिसाइकल, रीयूज और रिड्यूस करना अपनी जीवनशैली बना लिया है। घरों में आने वाले फलों की गुठलियां आम तौर पर हम यूं ही फेंक देते हैं, लेकिन उससे एक कॉलोनी में नर्सरी विकसित हो गई है। इसी कॉलोनी में तेल की कैन से खूबसूरत गमले बनाने जैसे प्रयोग हो रहे हैं। एक अन्य कॉलोनी में पूरा गार्डन और घर की सजावट ही पुराने और अनुपयोगी सामान से की गई है।
घरों से निकलने वाला कचरा शहर में एक बड़ी समस्या है। इस कचरे को उठाने से लेकर पूरी प्रोसेसिंग करना फिलहाल नगर निगम के बस की बात नजर नहीं आती। ऐसे में शहरवासियों के प्रयास से ही वातावरण स्वच्छ रह सकता है।
भारत नगर: कॉलोनी में बनाया खूबसूरत गार्डन
भेल कारखाने के गेट नंबर एक के पास कॉलोनी भारत नगर में एक खूबसूरत गार्डन बना हुआ है। इसे टायर, पाइप, प्लास्टिक के टूटे सामान से संवारा है। गार्डन में फाउंटेन भी कबाड़ से बनाया है। यहां की रहवासी अल्पना झा ने अपने घर और गार्डन को ऐसे ही सजाया है। उन्होंने कहा कि घर के कबाड़ को यहां-वहां फेंककर शहर को गंदा करने की बजाय उसका सदुपयोग दोहरा लाभदायक है।
पेंटिंग कर कैन को दिया गमले का रूप

आकृति ईको सिटी में ब्लू स्काई हाइराइज अपार्टमेंट्स में रहने वाली शासकीय होम्योपैथिक कॉलेज की रेसीडेंट डॉ. नम्रता जैन ने कबाड़ से नया प्रयोग किया है। घर में आने वाले खाद्य तेल की कैन पर वे खूबसूरत पेंटिंग कर उन्हें गमले का रूप दे रहीं हैं। ज्यादातर में गणेशजी के अलग-अलग रूप बनाए हैं। डॉ. जैन की रूचि को देखते हुए सोसायटी के गार्डन में एक कोना कबाड़ से विकसित किया गया है।
फल की गुठलियां बन गईं पौधे

ब्लू स्काई हाईराइज अपार्टमेंट्स के रहवासी घरों में आने वाले फल की गुठलियां फेंकते नहीं हैं, बल्कि उन्हें मटके में इकट्ठा करके उनके पौधे बना रहे हैं। सोसायटी के अध्यक्ष कृष्णमूर्ति बताते हैं कि यह पौधे नि:शुल्क बांटे जाते हैं।
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