सिस्टम से सवाल-आखिर कहां सुरक्षित हैं बेटियां, बेटी बचाओ बाेलना बेमानी है; भाेपाल इकबाल मैदान में मानव शृंखला

हाथाें में तख्ती, जुबां पर गुस्सा, आंखों में तल्खी। तख्ती पर लिखा था-कहां सुरक्षित हैं बेटियां, बेटी बचाओ बाेलना बेमानी है। इकबाल मैदान में मानव शृंखला का हिस्सा बनीं नाजिया खान आक्रोशित लहजे में बाेलीं- न दाे महीने की बेटी सुरक्षित है, न बीस साल की। शर्म आती है, ऐसी व्यवस्था पर।

हाथरस में बेटी के साथ हुई निर्ममता के विरोध में शहर में कई जगह विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च हुआ। इनमें कई युवा, छात्र-छात्राएं, समाजसेवी भी शामिल हुए। प्रदर्शन में ज्ञान विज्ञान समिति, सीपीआई, मुस्लिम महासभा, भीम आर्मी समेत अन्य संगठनाें से जुड़े कार्यकर्ता शामिल हुए। वहीं, वाल्मीकि समाज बैरागढ़ द्वारा कालका से चंचल चाैराहे तक कैंडल मार्च निकाला गया।

आवाम की आवाज

मानव शृंखला और प्रदर्शनों के दौरान कई कार्यकर्ता व समाजसेवी वहां से गुजर रहे लोगों काे पर्चे भी बांट रहे थे। इन पर लिखा था- भाेपाल के आवाम की आवाज। पर्चे में मांग की गई कि फास्ट ट्रैक काेर्ट के तहत पीड़िता को न्याय मिले। घटना की स्वतंत्र न्यायिक जांच हाे। पीड़िता के परिजनाें काे पूरी सुरक्षा की गारंटी और क्षतिपूर्ति तय की जाए।



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इकबाल मैदान पर मानव शृंखला और कैंडल मार्च।


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