ट्रायल कोर्ट में सुनवाई का सिस्टम लकवाग्रस्त हो गया है

राहुल दुबे,सहकारी संस्था में फर्जी कर्मचारियों की एंट्री कर 1.56 करोड़ रुपए का गबन करने वाले कर्मचारी को कोरोना की वजह से जमानत मिल गई। कर्मचारी 11 अक्टूबर 2017 से जेल में था और पांच बार जमानत के लिए प्रयास कर चुका था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसले में कहा कि संक्रमण की वजह से ट्रायल कोर्ट में सुनवाई का सिस्टम लकवाग्रस्त हो गया है।
इस मामले में भी ट्रायल कछुआ चाल से चल रहा है। अभियोजन पक्ष अब तक महज दो ही गवाहों के बयान करवा पाया हैै। ट्रायल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए जमानत दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी बाहर निकलने पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करेगा। ऐसा कोई काम नहीं करेगा, जिससे संक्रमण फैले। काेर्ट ने जेल प्रबंधन को भी निर्देश दिया कि बाहर निकालने से पहले उसका कोरोना टेस्ट भी कराया जाए। अधिवक्ता मनीष यादव के मुताबिक सहकारी साख संस्था में प्रबंधक रहे देवकीनंदन शर्मा के खिलाफ पुलिस ने 2016 में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
शर्मा पर आरोप था कि रजिस्टर में कर्मचारियों की झूठी जानकारी भरकर एक करोड़ 56 लाख रुपए का गबन किया है। केस दर्ज होने के बाद से ही वह जेल में थे। पांच बार जमानत अर्जी खारिज भी हो चुकी थी। इस बार दायर याचिका में उल्लेख किया कि ट्रायल बहुत धीमी गति से चल रहा है। कोरोना काे देखते हुए यह भी नहीं कहा जा सकता कि ट्रायल कब पूरा होगा। वैसे भी जेलों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। कैदी, विचाराधीन आरोपी भी संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में जान का खतरा भी है। शुगर, ब्लडप्रेशर जैसी बीमारी भी है। एेसे मरीजों की हालत और जल्दी खराब हो रही है। वहीं पुलिस की ओर से जमानत का विरोध किया गया। ट्रायल जारी होने का हवाला दिया। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद जमानत देने का फैसला किया। तीन लाख रुपए निजी बॉण्ड भी देने की शर्त कोर्ट ने रखी।
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