रेलकर्मियों ने कहा- पहले खुद के साथ परिवार की चिंता लगी रहते थी, अब वे ही हमें कोरोना वॉरियर्स कहते हैं

लॉकडाउन के कारण पैसेंजर ट्रेन बंद हैं लेकिन मालगाडिय़ों का संचालन जारी है। इनके लोको पायलट कोरोना संक्रमण का खतरा उठाते हुए भी अपनी ड्यूटी ठीक उसी तरह करने में जुटे हैं जैसे लॉकडाउन के पहले करते थे। माल गाड़ियों को चलाने वाले लोको पायलट कहते हैं शुरुआत में डर लगता था। खुद के लिए भी और परिवार को लेकर भी लेकिन अब ऐसा नहीं है। परिवार से हमें संबल मिला है। पहले जो परिजन हमें ड्यूटी करने से रोकते थे अब वे ही हमें कोरोना वॉरियर्स (यौद्धा) कहते हैं। मालगाड़ी का परिचालन इसलिए भी जरूरी माना गया कि इससे दवा, राशन, पेट्रोल का परिवहन सुगम हो सका। ऐसा नहीं हाेता तो अस्पतालों में जरूरी दवाइयां, घरों में राशन नहीं पहुंच पाता। भास्कर ने ऐसे ही लोको पायलट से उनके लॉकडाउन के दौरान अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा-अब सैनिटाइजेशन, घर पहुंचने से पहले नहाना आदत बन गई है। इसे लॉकडाउन के बाद भी जारी रखेंगे।
डर परिवार के लिए था, अब दूर हो गया
कार्यालय में उपस्थिति देना हो या इंजिन पर चढ़ना, पहले खुद को सैनिटाइज करते हैं। उसके बाद ग्लब्स पहनकर किसी मशीन को हाथ लगाते हैं। पहले डर लगता था कहीं मैं खुद संक्रमित न हो जाऊं। परिवार को कैसे बचाएंगे लेकिन अब ऐसा नहीं है। घर के साथ आसपास के लाेग हमें कोरोना वॉरियर्स कहने लगे हैं।
-नरेंद्र सहगल, लोको पायलट
ड्यूटी के बाद सीधे घर में प्रवेश नहीं
ड्यूटी से लौटने के बाद सीधे घर में प्रवेश नहीं करते। घर के बाहर ही नहाते हैं। जो भी सामान है, उसे सैनिटाइज करते हैं। उसके बाद ही घर में प्रवेश करते हैं। घर में दो बच्चे और पत्नी है। उन्हें समझाया है लॉकडाउन का पालन करें। -नीलेश कटियार, लोको पायलट
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