13 साल बाद प्रमोशन रद्द करने का आदेश हाई कोर्ट ने किया खारिज

राहुल दुबे,मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर एक फैसला दिया है जो नजीर भी बन सकता है। एक कर्मचारी को 2007 में ग्रेड-2 का प्रमोशन दिया गया। 13 साल बाद यानी 2020 में यह कहते हुए उसका प्रमोशन रद्द कर दिया कि उसने टाइपिंग परीक्षा पास नहीं की। यहां दिलचस्प यह है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने टाइपिंग परीक्षा लेना 2013 में ही बंद कर दिया है। मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कर्मचारी की याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने प्रमोशन यथावत रखने के आदेश दिए हैं।
सरकारी कर्मचारी बाबूलाल वर्मा को सहायक ग्रेड- 3 से सहायक ग्रेड- 2 का प्रमोशन 2007 में मिला था। कुछ समय बाद उनका डिमोशन कर दिया गया। इसके पीछे तर्क यह दिया था कि उन्होंने टाइपिंग परीक्षा नहीं दी। उसका प्रमाण पत्र नहीं दिया। इस पर कर्मचारी ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा कि उनकी उम्र अब 45 साल पार हो चुकी है। सर्विस रूल्स के मुताबिक इस उम्र को पार कर चुके कर्मचारी को किसी तरह की परीक्षा देने की जरूरत नहीं है। टाइपिंग परीक्षा लेना माशिमं ने बंद कर दिया है। रही बात कम्प्यूटर चलाने की तो कर्मचारी की सेवा शर्तों में इसका उल्लेख नहीं है कि टाइपिंग बंद होने पर कम्प्यूटर चलाने की परीक्षा पास कर प्रमाण पत्र देना होगा। प्रमोशन मिले 13 साल हो गए। उसके बाद निरस्त किया जाना गलत है। वहीं शासन ने विरोध में कहा- टाइपिंग परीक्षा पास नहीं किए जाने की जानकारी जब पता चली, तब फैसला लिया गया। कर्मचारी को इसकी जानकारी थी, लेकिन 2007 में भी उसने परीक्षा नहीं दी। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया।
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