इंदौर में हुई बारिश से शिप्रा नदी हुई लबालब लेकिन 49 जलस्रोत सूखे

उज्जैन सहित जिले में पिछले साल हुई अतिवृष्टि के बावजूद प्रमुख जलस्त्रोत की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है। जिले में पिछले साल 56 इंच से अधिक बारिश हुई थी, जबकि औसत बारिश 36 इंच है। बावजूद 51 मुख्य जल स्त्रोतों में से दो जल स्त्रोत ही ऐसे हैं, जहां पानी की स्थिति लोवेस्ट सील लेवल (एलएसएल) से ज्यादा है। बाकी सभी में जलस्तर एलएसएल से कम है। विशेषज्ञों का कहना है अगर एक दिन में 5 इंच बारिश भी लगातार हो जाती है तो भी अभी भूजल स्तर बढ़ने में समय लगेगा।

गंभीर डेम - कुल क्षमता 2250 एमसीएफटी है। डेम में 481.175 एमसीएफटी पानी है। पिछले वर्ष की तुलना में यहां जलस्तर बेहतर है। पिछले साल 15 जून तक डेम केवल 86.250 एमसीएफटी भरा था। उज्जैन शहर की पेयजल व्यवस्था का यह मुख्य स्त्रोत है। आसपास के इलाकों में कृषि के लिए पानी का उपयोग होता है।

उंडासा, साहिब खेड़ी और पांडलिया तालाब में बहुत कम पानी

  • उंडासा तालाब - कुल क्षमता 155 एमसीएफटी है। इससे मक्सी रोड की कई कॉलोनियों में भी पानी उपलब्ध करवाया जाता है। आसपास के इलाकों में सिंचाई के लिए भी पानी का उपयोग होता है। फिलहाल यहां निम्नतम स्तर से कम पानी है।
  • साहिबखेड़ी तालाब- कुल क्षमता 450 एमसीएफटी है। ताजपुर इंडस्ट्रियल एरिया में भी इसके पानी की मांग होती है। क्षेत्र में पेयजल का मुख्य स्त्रोत है। आसपास सिंचाई का प्रमुख साधन है। लेवल लोवेस्ट सील लेवल से 1.3 मीटर अधिक है।
  • पांडलिया तालाब नागदा- तालाब से लगे आसपास के खेतों में सिंचाई और रहवासियों के पेयजल का यह प्रमुखसाधन है। इसमें इस समय स्थिति बेहतर है। यहां लोवेस्ट सील लेवल से 0.8 मीटर अधिक पानी है।
  • गऊघाट - शिप्रा नदी के गऊघाट की कुल क्षमता 19 फीट की है। अभी यहां 13.4 फीट पानी है। इंदौर, सांवेर, देवास के इलाकों में बारिश होने के बाद यहां पानी बढ़ना शुरू हो जाता है। यही पानी आगे जाकर रामघाट होते हुए शिप्रा नदी से महिदपुर की ओर जाता है।

जमीन के अंदर जलधाराओं को भरने में लगेगा समय
विक्रम विवि की पर्यावरण प्रबंधन अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. डीएम कुमावत ने बताया तेज बारिश होना भूजल स्तर के लिए बेहतर नहीं होता। जमीन के भीतर बेहद छोटी-छोटी जल धाराएं होती हैं, जो रिमझिम बारिश में भूजल स्तर बढ़ाती है। तालाब और जलाशयों की इन्हीं जलधाराओं से चार्जिंग होती है। तेज बारिश से छोटे तालाब, नदियां ओवरफ्लो हो जाते हैं लेकिन ज्यादातर पानी बह जाता है। जमीन में पानी रिसने में समय लगता है। एक-दो महीने में रिमझिम बारिश से जलाशयों की स्थिति बेहतर होगी।



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The rain in Indore caused the Shipra River to become heavy but 49 water sources drought


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