कोरोना वायरस का असर, 7 हजार प्रवासी मजदूरों में से सिर्फ 14 को ही मिला काम
कोरोना वायरस क्या फैला मजदूर अपना जमा जमाया काम धाम छोड़कर निकल पड़े अपने गाँवों की तरफ। कोई अंडमान निकोबार से आ गया तो कोई उड़ीसा, कोई महाराष्ट्र की किसी फैक्टरी में काम कर रहा था लेकिन इस संक्रमण और अपने परिवारों की चिंता में वे भी अपने घर आ गये। इस तरह जबलपुर जिले में हुए सर्वे में 7 हजार से ज्यादा मजदूरों के आने की जानकारी जुटाई गई है और कौन किस काम से जुड़ा हुआ था यह भी सर्वे में निकलकर सामने आया है। अब सरकार ने इन मजदूरों की चिंता की और रोजगार सेतु पोर्टल बनाया।
इस पोर्टल के माध्यम से अभी तक जिले में सिर्फ 14 प्रवासी मजदूरों को ही काम मिल पाया है। दूसरी तरफ रतलाम और पन्ना जिले ऐसे हैं जहाँ एक सैकड़ा से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ दिया गया है। प्रदेश सरकार की मंशा यह है कि जो मजदूर जिस जिले में हैं उसे वहीं रोजगार मिल जाये और जिस विधा से वह जुड़ा था उसी से उसे जोड़ा जाये। बावजूद इसके कई जगह प्रयास नहीं किये गये जिससे मजदूर अभी भी भटक रहे हैं। 11 ठेकेदार श्रेणी के नियोक्ताओं ने पंजीयन कराए हैं।
कई उद्योगों ने अपने मजदूरों और सुपरवाइजरों की आवश्यकता भी बताई है फिर भी इन मजदूरों को काम से नहीं जोड़ा जा रहा है। रोजगार सेतु पोर्टल को देखने से तो यही पता चलता है या फिर इस पोर्टल को अपडेट नहीं किया जा रहा है।
6 जून को ही बंद कर दी प्रक्रिया- मजदूरों की 6 जून तक अभियान चलाकर लिस्ट तैयार की गई। जबकि मजदूरों का आना अभी भी जारी है। ये मजदूर अगर कहीं पहुँचते हैं भी तो इनसे कहा जाता है कि ऑफलाइन फॉर्म भर दें, कोई योजना आती है तो देखा जायेगा और इनके फॉर्म भी ऑनलाइन कर दिये जायेंगे, नहीं तो इंतजार करें।
कहाँ से आए कितने मजदूर
महाराष्ट्र से 2826, गुजरात से 1784, छत्तीसगढ़ से 528, राजस्थान से 420, दिल्ली से 206, गोवा से 160, हरियाणा से 144, तेलंगाना राज्य से 136, कर्नाटक से 83, बिहार से 78, आँध्रप्रदेश से 50 प्रवासी मजदूर और 15 परिवारों के सदस्य वापस लौटे हैं। इसी प्रकार दादरा और नगर हवेली से 48, तमिलनाडु से 42, पंजाब से 37, झारखंड से 25, उड़ीसा से 18, दमन और दीव से 17, असम से 14, पश्चिम बंगाल से 14, केरल से 9, चंडीगढ़ से 8, जम्मू-कश्मीर से 8, हिमाचल प्रदेश से 7, उत्तराखंड और मणिपुर से 4-4, सिक्किम एवं अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से दो-दो और नागालैंड से एक प्रवासी श्रमिक जिले में वापस आया है।पी-2
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