उपचुनाव में टिकट के लिए कई बड़े चेहरे छोड़ सकते हैं पार्टी

ढाई साल के अंदर मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में दूसरा उपचुनाव होगा। मार्च माह में क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद से जिले की मुंगावली विधानसभा सीट के लिए समीकरण बदले हैं। इन बदले हुए समीकरणों में कुछ नामों के चर्चा में आने के बाद कोरोना का भय खत्म कर दावेदार लगातार भोपाल चक्कर लगाकर बड़े नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं।मुंगावली का विधानसभा चुनावों का इतिहास वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से हर बार बदला है। 2018 के उपचुनाव में कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे वर्तमान सांसद डाॅ. केपी यादव को टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ छोड़कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कमल थामा था। 6 माह बाद विधानसभा चुनाव हुआ तो पार्टी ने उनको भाजपा से टिकट दिया।
इस चुनाव में भाजपा के एक और दिग्गज नेता पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीत सिंह बागी होकर चुनाव लड़े। लगातार दो चुनावों में दोनों पार्टियों से बागी होने पर चुनाव के समीकरण भी गड़बड़ाए। यहीं स्थिति इस चुनाव में बनती नजर आ रही है।
क्षेत्रीय सांसद डाॅ.केपी यादव के भाई अजयपाल सिंह की पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कांग्रेस के दिग्गजों से लगातार मुलाकात फिर से मुंगावली के समीकरण की हवा बदल रही है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी भी इस चुनाव में किसी भी तरह का खतरा न उठाते हुए पूर्व विधायक बृजेन्द्र सिंह की टक्कर में तगड़ा प्रत्याशी उतारने का मूड बना रही है। हालाकि इस लिस्ट में चंदेरी विधायक गोपाल सिंह चौहान के बेटे मनु राजा का नाम भी प्रमुखता से चल रहा है।
यादव प्रत्याशी पर नजर
क्षेत्र में 50 हजार वोट बैंक यादव समाज का होने से भाजपा की तरह कांग्रेस भी यादव प्रत्याशी को टिकट दे सकती है। अगर बृजेन्द्र सिंह कांग्रेस में होते तो भाजपा से सांसद डाॅ. यादव के अलावा जिपं अध्यक्ष बाईसाहब यादव या उनके पुत्र अजय प्रमुख दावेदारी करते। ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो कांग्रेस आलाकमान तय करेगा। सूत्रों की मानें तो सांसद डाॅ. यादव के भाई अगर कांग्रेस में जाते हैं तो मुंगावली में तीसरी बार विस चुनाव में नए सिर से समीकरण नेताओं को बनाना पड़ेंगे।



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