न कोई ट्रेन आई न ही प्लेन, मंदिर समूह बंद रहने से सबकुछ सूना

लाकडाउन के बाद हुए अनलॉक का असर अब भी पर्यटन नगरी खजुराहो में दिखाई नहीं दे रहा है। पर्यटन का मुख्य केंद्र पश्चिम मंदिर समूह अब भी बंद होने से पर्यटन कारोबार शुरू ही नहीं हो पा रहा है। पिछले 80 दिनों में न तो एयरपोर्ट पर कोई विमान लैंड हुआ है और न ही रेलवे स्टेशन पर एक भी यात्री ट्रेन रुकी है। होटल, रेस्टोरेंट खुलने की अनुमति है लेकिन पर्यटक नहीं होने से सबकुछ सूना है। मंदिर समूह के पास साइलेंट जोन एरिया में जहां पर्यटकों की भीड़ होती थी वहां मंगलवार की शाम को भी सन्नाटा नजर आया।
अनलॉक के बाद होटल संचालकों ने साफ-सफाई जैसी तैयारियां शुरू की हैं। खजुराहो टूरिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी और होटल मिंट बुंदेला के प्रबंधक नारायण सिंह ने बताया कि होटल संचालक जरूरी तैयारियां कर रहे हैं। वे पर्यटकों को ठहराने और अन्य सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। पर अब तक बुकिंग शून्य है। होटल संचालक शादी विवाह या दूसरे आयोजनों के लिए भी बुकिंग लेने को तैयार हैं। सिद्धार्थ होटल, रेस्टोरेंट के संचालक दिवाकर पटेल का कहना है कि वे सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। पर मंदिर खुलने के तक उन्हें किसी प्रकार के कारोबार की कोई उम्मीद नहीं है। इसी कारण से खजुराहो में सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला मंदिर समूह के आस पास का इलाका पूरी तरह से सूना है।

24 मार्च से एक भी विमान नहीं हुआ लैंड
खजुराहो एयरपोर्ट अथॉरिटी के निदेशक प्रदीप कुमार का कहना है कि 24 मार्च से खजुराहो एयरपोर्ट पर एक भी विमान लैंड नहीं हुआ है। अब भी किसी भी एयर लाइन ने अपनी सेवाएं शुरू करने के संबंध में अथॉरिटी से संपर्क नहीं किया है। यही हाल खजुराहो रेलवे स्टेशन का भी है। रेलवे स्टेशन पर अब तक एक भी यात्री ट्रेन नहीं पहुंची है। यहां तक की प्रवासी मजदूरों को लेकर आने वाली कोई ट्रेन भी रेलवे स्टेशन पर नहीं रुकी है।
एएसआई को सरकार के आदेश का इंतजार : खजुराहो के संरक्षित मंदिरों में शामिल मतंगेश्वर मंदिर दर्शनों के लिया खुल गया है। इसी प्रकार से जैन मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खुले हैं। लेकिन पर्यटन का मुख्य केंद्र पश्चिम मंदिर समूह अभी भी बंद है। एएसआई के संरक्षक सहायक सुभाष कुमार का कहना है कि पर्यटकों के लिए मंदिर समूह खोलने के संबंध में भी भारत सरकार से कोई गाइड लाइन नहीं मिली है। सरकार से अनुमति मिलने के बाद भी पर्यटन केंद्र खुल सकेंगे।



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Neither a train came nor a plane, temple groups closed and everything was lost


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