जबलपुर-मण्डला सड़क पर नागाघाटी का पहाड़ फिर धसकने लगा, बँधे तार टूटकर बिखर रहे

जबलपुर से मण्डला सड़क वैसे ही अधूरी बनी हुई है पर जहाँ बन चुकी है वहाँ पर भी कुछ न कुछ समस्याएँ सामने आती ही रहती हैं। बानगी के तौर पर बरेला से आगे नागाघाटी को लिया जा सकता है। इस घाटी के पहाड़ हर बारिश में धसकने लगते हैं, जिससे रास्ता बंद करने की नौबत आ जाती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। बारिश से पहले अभी जबलपुर-मण्डला मार्ग में नागाघाटी का पहाड़ी हिस्सा ऊपर से धसकने लगा है। हालात एकदम भू-स्खलन जैसे हैं जिसमें बड़ा हिस्सा ऊपर से गिरकर नीचे आ रहा है। इस पहाड़ी को सड़क बनाने के लिए काटा गया और बेहतर तरीके से फिर इसको बाँधा नहीं जा सका, जिससे भू-स्खलन की समस्या सामने आ रही है। अभी पहाड़ी के बड़े हिस्से में जो तार लगाये गये थे वे धीरे-धीरे गलकर टूट रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि मानसून आने के पहले ही यदि प्रबंध नहीं िकया गया तो इस रास्ते को बंद करने की नौबत आ सकती है। लॉकडाउन में जब सड़कों में यातायात एकदम न के बराबर था, उस समय परेशानी नहीं थी पर अब बसों को चलने की अनुमति मिल गई है। लॉकडाउन खुल गया है और यातायात इसी के साथ बढ़ गया, इन हालातों में घाटी से नीचे धसकते पत्थरों को बाँधना या कोई अन्य प्रबंध करना बेहद जरूरी हो गया है।
वर्षों से रोना है बरकरार
जबलपुर से मण्डला और रायपुर तक सड़क में कोई न कोई परेशानी सामने आती रहती है। इसी मार्ग में निर्माणाधीन सड़क का बड़ा हिस्सा अभी तक नहीं बन सका है और जो बना है उसमें कई तरहों से मुसीबतें हर मानसून सीजन में आ ही रही हैं। एमपीआरडीसी के अधिकारियों के अनुसार पहले मुंबई से विशेषज्ञ बुलाकर इस घाटी को तारों से बाँधा गया था, अब एक बार फिर से इसकी पूरी जाँच कर सुधार िकया जाएगा। गौर तलब है िक चूल्हा गोलाई से बरेला से आगे डोबी गाँव नागाघाटी तक 22 किलोमीटर की सड़क जबलपुर-मण्डला-रायपुर मार्ग में पहले हिस्से के रूप में तैयार की गई, उसी में यह नागाघाटी का हिस्सा आता है।पी-2
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