अपना ही आदेश एसडीएम ने बदला, हाईकोर्ट ने कलेक्टर को दिए कार्रवाई के निर्देश

नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील के ग्राम रांकई में स्थित कब्रिस्तान से संबंधित मामले पर वहाँ के एसडीएम द्वारा पूर्व में दिया आदेश आरोपित तौर पर राजनीतिक दबाव में बदलने के मामले पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मामले का निराकरण करते हुए कहा है कि यदि इस बारे में कोई आवेदन या अपील दायर की जाती है तो उस पर विधि अनुसार कार्रवाई की जाए। ऑल विलेजर्स मोमडन कम्युनिटी के अब्दुल बाजिर की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि ग्राम रांकई की करीब 15 एकड़ जमीन में वर्ष 1923-24 से कब्रिस्तान हैं, जो बाजिव उल अर्ज में भी दर्ज है। वर्ष 2016 में उक्त कब्रिस्तान में पौधारोपण करने और चहारदीवारी बनवाने तत्कालीन सरपंच ने वन विभाग से मिलकर एक कार्ययोजना बनाई और वहाँ पर काम शुरू करा दिया। कब्रिस्तान का स्वरूप बदले जाने की बजाए वहाँ पर किए जा रहे निर्माण कार्य व गड््ढों की वजहों से कब्रों के खुदने और लाशों के बाहर आने की शिकायत किए जाने पर वहाँ के एसडीएम ने कब्रिस्तान में चल रहे कार्यों पर रोक लगाई और संबंधित पक्षों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया। याचिका में आरोप है कि संबंधित पक्षों द्वारा काम जारी रखने और जुर्माने की राशि जमा न करने की फिर से एसडीएम को शिकायत की गई। याचिका में आरोप था कि उनकी शिकायत पर एसडीएम ने राजनीतिक दबाव में आकर अपने पिछले आदेश को पलटते हुए कब्रिस्तान की जमीन को निस्तार की जमीन बता दिया। इस कार्रवाई को चुनौती देकर यह याचिका दायर की गई थी।
मामले पर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुबोध कठर और राज्य सरकार की ओर से पैनल अधिवक्ता शीतल तिवारी ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले का निराकरण करते हुए कलेक्टर को विधि अनुसार कार्रवाई के निर्देश दिए।

को-ऑपरेटिव बैंक अध्यक्ष पद से हटाने को दरबार ने दी चुनौती
कमलनाथ सरकार द्वारा इन्दौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष बनाए गए अंतर सिंह दरबार को हटाए जाने के मामले पर हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार व अन्य को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अध्यक्ष पद पर होने वाली कोई भी नियुक्ति इस याचिका पर होने वाले फैसले से बाध्य होगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने पक्ष रखा। अब इस मामले की सुनवाई अशोक सिंह व अन्य की याचिकाओं के साथ करने के निर्देश भी अदालत ने दिए हैं।पी-2

एड्स पीड़ित को निचली अदालत में सरेण्डर की इजाजत

मारपीट में गंभीर क्षति पहुँचाने के आरोपी एक एड्स पीड़ित को हाईकोर्ट ने निचली अदालत में सरेण्डर करने की इजाजत दी है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने सोमवार को हुई सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि यदि आरोपी दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करता है तो उस पर विचार किया जाए। होशंगाबाद पिपरिया के खिड़िया में रहने वाले आरोपी ने पिपरिया थाने में दर्ज एक मामले में अग्रिम जमानत का लाभ पाने यह अर्जी दायर की थी। सुनवाई के दौरान अारोपी की ओर से कहा गया कि उनका मुवक्किल निचली अदालत में सरेण्डर करना चाहता है। आरोपी के एड्स पीड़ित होने के मद्देनजर अदालत ने जमानत अर्जी वापस लेने की इजाजत देकर निचली अदालत को निर्देश जारी किए हैं।



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