सरकार के 3 अध्यादेश किसान विरोधी, व्यापारी व कंपनियों को फायदा

तीन कृषि अध्यादेश व डीजल की बढ़ती कीमत को लेकर सोमवार को राष्ट्रीय किसान महासंघ के आव्हान पर भारतीय किसान यूनियन प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टोरेट में ज्ञापन सौंपा। जिला संरक्षक नटवर पाटीदार, जिलाध्यक्ष रितेश गुर्जर ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले अध्यादेश में एमपीपीएस एक्ट में बदलाव किया है। इसमें मंडियों के बाहर किसानों का माल खरीदने की छूट दी है। इसमें किसानों की फसलें बड़े व्यापारी व कंपनियां गठजोड़ कर उत्पादों के दाम गिरा देगी।

दूसरा अध्यादेश आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट 1955 में बदलाव है। इसमें सरकार ने आलू, प्याज, दलहन, तिलहन आदि के भंडारण पर लगी रोक को हटा दिया है। इससे किसानों को नहीं बल्कि कंपनियों को फायदा होगा। पश्चिम देशों में खेती व्यवसाय है। जबकि भारत में जमीन से परिवार पालन होता है। यह निर्णय वापस लिया जाए। जिला महामंत्री दिनेश पाटीदार, अंकित पाटीदार आदि मौजूद थे।
पदाधिकारियों ने कहा डीजल की बढ़ी कीमतों को वापस लिया जाए। सब्सिडी किसान को मिले। स्वामीनाथन आयोग के सीटू प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार फसलों का एमएसपी दिया जाए यदि कोई व्यापारी एमएसपी से कम खरीदी करता है तो कानूनी कार्रवाई हो। किसानों को पूर्ण कर्जमुक्त किया जाए। 15 जुलाई तक केंद्र सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती है तो आंदोलन होगा।



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