देवझिरी सोसायटी के उपाध्यक्ष व दो संचालकों ने दिया इस्तीफा, बोले- मैनेजर के कार्यकाल की जांच की जाए

देवझिरी आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था के उपाध्यक्ष माना डामोर, संचालक बाबूराम और सरदार डामोर से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के साथ ही उन्होंने उपायुक्त सहकारिता को एक शपथ पत्र दिया।
इसमें आरोप लगाया कि प्रबंधक ने नाबालिग किशोरियों को नियम विरुद्ध नियुक्ति दी थी। साथ ही अपने कई रिश्तेदारों को नौकरी पर रख लिया। संस्था अध्यक्ष महिला हैं, लेकिन उनकी बजाय अध्यक्ष पति काम देखते हैं। इस्तीफा देने वाले पदाधिकारियों ने संस्था प्रबंधक भारतसिंह हाड़ा के 5 साल के कार्यकाल की जांच कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग भी की।
दरअसल, इस संस्था को कांग्रेस नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है। इसके बावजूद पहले भाजपा सरकार, फिर कांग्रेस सरकार और अब फिर से भाजपा सरकार में भी यहां कारगुजारी पहले की तरह चल रही है। इनकी अफसरों में पकड़ इससे पता चलती है कि पूर्व में उपायुक्त ने इस संस्था को भंग किया तो संभागीय कार्यालय इंदौर ने स्टे दे दिया। हालांकि उपायुक्त ने फिर से स्टे वैकेट करने का आवेदन भोपाल मुख्यालय को दिया है। इसमें लिखा गया कि वरिष्ठ न्यायालय ने सिविल प्रक्रिया कोड का पालन नहीं करते हुए एक पक्षीय स्टे जारी किया। संभवत: ये भी पहली बार हो रहा है, जब किसी संस्था के सदस्यों ने शपथ पत्र पर इस्तीफे दिए हैं।

1995 से प्रभारी हैं प्रबंधक, लोकायुक्त ने भी पकड़ा था
देवझिरी संस्था फिलहाल 2 करोड़ रुपए के नुकसान में चल रही है। इसके प्रबंधक प्रभारी हैं, लेकिन 1995 से पद पर बने हुए हैं। पूर्व में लोकायुक्त ने भी पकड़ा, इसके बावजूद पद से हटाया नहीं जा सका। हाल ये हैं कि देवझिरी में सरकारी भवन होते हुए, झाबुआ में एक कांग्रेस नेता के मकान में किराए से दफ्तर चलता है। उपायुक्त सहकारिता अंबरीष वैद्य ने इसे खाली भी कराया, लेकिन अब फिर से संस्था वाले ऑफिस यहां ले आए।

अब ये हो सकता है
संस्था के उपाध्यक्ष सहित 3 सदस्यों के इस्तीफे के बाद अब शेष बचे बोर्ड को अपात्र घोषित करना उपायुक्त सहकारिता के अधिकार क्षेत्र में आता है। ये कार्रवाई भी हाे सकती है। अध्यक्ष झीतरीबाई से भी उनके काम का हिसाब किताब मांगा जा सकता है। मैनेजर का मूल पद सेल्समैन का है। सहकारिता उपायुक्त अंबरीष वैद्य ने बताया, सोसायटी की सभी कारगुजारियों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। नाबालिग की नियुक्ति और उन्हें प्रताड़ित करने की बात भी है। उनके कारण बाकी नॉन कैडेट सोसायटी मैनेजर भी विवादित हो गए हैं। उपायुक्त के साथ सीसीबी प्रशासक भी हूं। नॉन कैडेट मैनेजरों के कार्यों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है।



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