रेत के अवैध उत्खनन के लिए नर्मदा किनारे के खेत अब सुरक्षित स्थान, 5 फीट खुदाई पर निकलने लगती है रेत

संजय साेनी, रेत के अवैध उत्खनन के लिए अब नर्मदा किनारे के खेत सुरक्षित स्थान हाे गए हैं। रेत माफिया यहां खेत मालिकाें काे लालच देकर खेत में खुदाई करते हैं। इन खेताें में 5 फीट खुदाई के बाद रेत निकलना प्रारंभ हाे जाती है। यहां से रेत निकालकर खनिज विभाग द्वारा स्वीकृत खदान की रेत बताकर इसे वैध बता दिया जाता है। बारिश थमते ही रेत निकालना शुरू हाे जाता है। एनजीटी ने नर्मदा के अंदर से सीधे रेत निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। तो रेत माफिया नया तरीका इजाद किया है। धरमपुरी के लसनगांव, पीपलदागढ़ी, निमाेला, गुलाटी, धरमपुरी खुजांवा, हतनावर नर्मदा किनारे के गांव हैं, जहां खेताें काे खाेदा जा रहा है। धरमपुरी से खलघाट के बीच 40 से 50 फीट तक के गड्‌ढे देखे जा सकते हैं।

जाने कैसे होता है अवैध खनन खेल
नर्मदा पट्टी के गांवों के लोगों को लालच देकर विवादित स्थानों से रेत निकालकर लाने को राजी कर लेते हैं। यहां से रेत ट्रकों अाैर ट्रैक्टर ट्राॅलियाें में भरी जाती है। ठेकेदार रेत विहीन स्वीकृत खदानों के नाम जारी रॉयल्टी बुक के परिवहन पास के जरिये अवैध रेत को वैध रॉयल्टी लगाकर बेच देते हैं। ठेकेदार स्वीकृत खदान के नाम पर नर्मदा के किनारे की शासकीय, चरनोई और किसानों को प्रति ट्रक 300 से 500 रु. का लालच देकर खेत में दबी रेत निकाल रहे हैं। 1702 पीएम अावास व अन्य मकान में रेत लग रही है।

चाैकीदार ने राजस्व विभाग से खेती की मिली जमीन की रेत बेच दी
हद तो तब हो गई जब खलघाट से धरमपुरी के बीच की एक पंचायत के चाैकीदार को खेती के लिए दी गई जमीन रेत माफियाओं ने उसे रुपयों का लालच देकर दबी रेत निकाल कर खासे पैसे कमा लिए। अब जमीन में गड्‌ढों के अलावा कुछ नहीं है। नर्मदा के किनारे गड्ढे होने से बाढ़ का पानी भरनेे लगा है। हालात ये हैं कि एक स्थान पर कटाव खलघाट-मनावर मार्ग के समीप तक आ पहुंचा है।

ऐसे भी निकालते हैं रेत
नाव पर बड़ा इंजन लगाकर एक मोटा पाइप पानी के नीचे रेत तल में डाला जाता है। पाइप के दूसरे छोर को प्लास्टिक या लोहे के ड्रम पर कसा जाता है जिससे वो पानी में ना डूबे। इंजन चालू करते ही नर्मदा के पानी के नीचे की रेत पानी के साथ निकलने लगती है। जिसका पानी बहाकर रेत के टीले बना दिए जाते हैं। इस बिना मिट्टी की रेत की कीमत भी ठेकेदार जमकर वसूलते हैं।

नर्मदा की धुली रेत के भाव अधिक
12 मीटर के डंपर का भाव 35 हजार है ताे ट्राॅली का भाव 5 हजार। नर्मदा के तल से निकाले जाने वाली रेत की कीमत अधिक है। वह प्लास्टर के काम आती है। वहीं मोटी माल जुड़ाई के। खाेदू भरू रेत खाेदकर निकालते हैं, उसमें मिट्टी मिली हाे ताे रेट कम हाे जाता है।
मालिक की अनुमति से खाेद सकते हैं
खेत मालिक की सहमति हाे ताे ठेकेदार खेताें में खुदाई कर सकता है। शासन ने इस बार नई गाइड लाइन में बदलाव किया है। लेकिन हम डूब प्रभावित क्षेत्राें के खेताें में खुदाई की अनुमति नहीं देंगे।
एलएस खतेडिया, जिला खनिज अधिकारी धार



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